फिर बड़ी मछलियों को चारा डाला गया है।

20 लाख करोड़ में जीरो गिनते न थकने वाले भक्त यह भी जाने कि इसमें से सवा दस लाख करोड़ पहले ही दिए जा चुके है। मगर किसको? मजदूरों और गरीबों को, जिनके जनधन खाते है, केवल 500 रु ही मिले है। बाकी माल बैंकों को लोन देने के लिये सरका दिया गया है। बैंक उस पैसे से  लोन देने की बजाय उसे वापस RBI में जमा करा ब्याज कमा रहे है। बाकी बचे पौने दस लाख करोड़ में से तीन लाख करोड़ का बटवारा आज हुआ। फिर से यह पैसा बैंकों को दिया गया है छोटे और मंझोले उद्योगों को लोन देने के लिये। कितने छोट और मंझोले उद्योगों का टर्नओवर 100 करोड़ से ज्यादा 
खास बात देखिये, छोट और मंझोले (MSME) की परिभाषा को बदल दिया है और इस महत्वपूर्ण खबर को गोदी मीडिया निगल गया बिना डकार मारे। अब तक जिन उद्योगों में 10 लाख, 2 करोड़ व 5 करोड़ की लागत लगती थी वह MSME कहलाती थी। मगर अब यह लोन के लिये 100 करोड़ का टर्नओवर जरूरी कर दिया गया है। होता है? जाहिर है 80 प्रतिशत उद्योगों को इसका कोई लाभ नहीं होगा। फिर बड़ी मछलियों को चारा डाला गया है।