Lockdown क्या देशहित में हुआ?

Lockdown क्या देशहित में हुआ?


कल आपसे वादा किया था कि, भारत के प्रधानमंत्री का अचानक Lockdown का announce कर देना क्या वास्तव में कोई आपदा थी, या सुनिश्चित प्लान जिसमें सिर्फ़ सरकार ने अपनी सहूलियत के चलते यह कार्य किया?.... 


शुरू करते हैं मार्च के महीने से CAA-NRC, दिल्ली दंगे, जामिया, शाहीन बाग सब मुद्दे गर्म चल रहे थे... सरकार हर तरफ़ से घिरी हुई थी... देश की जनता का मनोबल काफी बढ़ा हुआ था और केंद्र सरकार के प्रति जनता का रोष बढ़ रहा था... इसी बीच मध्य प्रदेश का सियासी खेल शुरु हुआ, बड़े ख़र्चे हुए ख़रीद फरोख्त हुईं... कांग्रेस की सरकार पलटी गई और बीजेपी प्रदेश पर शासित हो गई... देश में विरोध प्रदर्शन और विरोध के सुर उठने लगे... और तभी अचानक मोदी जी ने जनता कर्फ्यू का एलान किया जो 22 मार्च को हुआ, और फिर कम्प्लीट Lockdown जो 23 मार्च की रात 12. 01am बजे से यानी 24 मार्च से शुरू हुआ जिसके तीन चरण हुए और जो अब 17 मई को अंत होने का बताया जा रहा है... इस तरह भारत का टोटल Lockdown का अंत होते हुए 55 दिन हो जायेंगे... यह 55 दिन ध्यान में रखियेगा... इस Lockdown से सबसे बड़ा फ़ायदा जो मोदी सरकार को हुआ वो लोगों का ध्यान भटकाने में कामयाबी मिलना था... ऊपर जो मुद्दे अभी बताये सब पर एक साथ विराम लग गया और केंद्र सरकार का विरोध अचानक बंद हो गया... साथ ही बीच में थाली, ताली और दिया के टास्क भी लाए गए, जिससे बीजेपी के संगठित कार्यकर्ताओं ने यह सिद्ध करने की कोशिश की कि, बीजेपी राष्ट्रवादी पार्टी है और सिर्फ देशहित में ही कार्य कर रही है और मोदी जी की सोच सिर्फ देश हित में है... साथ ही इन टास्क से CAA-NRC, जामिया, शाहीन बाग, दिल्ली दंगे सब किनारे लग गए, और देश Covid-19 से भयभीत हो कर सिर्फ अपनी जान की सुरक्षा में लग गया... चलिए यह वो सब हुआ जो आप लोगों को पता है... अब आगे बात करते हैं कि, दरअसल यह सब जो हुआ क्या देश को इसकी जरूरत थी, या इस हद तक जरूरत थी कि देशभर को Lockdown पर भेज देना बहुत आवश्यक था? 


चलिए अब कड़ियां जोड़ते हैँ...  सूत्रों की माने तो... लगभग 20 मार्च के आसपास केंद्र सरकार की एक गुप्त मीटिंग होती है और उसमें सरकार की हो रही ज़बरदस्त फजीहत पर बात होती है और आपातकाल में कुछ निर्णय लिए जाते हैं... और तब शुरू होता है सियासी खेल जो कुछ इस तरह है...


सबसे पहले अगर आपको याद हो तो निजामुद्दीन तब्लीगी जमात का मुद्दा गोदी मीडिया और BJP IT Cell ने ठीक 24 मार्च 2020 से उठाना शुरू किया जो लगभग 15 अप्रैल तक अपनी चरम सीमा पर था... मीडिया ना कोई और ख़बर देश को दिखा रहा था और ना किसी मुद्दे पर बात हो रही थी... अगर बात हो रही थी तो बस जमातियों पर बात हो रही थी... 2 अप्रैल के BBC News का यह लिंक देखें और "2 अप्रैल की तारीख दिमाग़ में रखिये"... 
https://www.bbc.com/news/world-asia-india-52131338


इसी बीच केंद्र सरकार लगभग 20 मार्च को आपातकाल में WHO (World Health Organisation) को संपर्क करती है और देश में आपदा घोषित करते हुए उसकी सिफारिश की बात करते हुए IMF (International Monetary Funds) और World Bank से बात करने को कहती है ताकि आपातकाल के दौरान मिलने वाली World Bank की मदद (जो लोन की शकल में होता है उसे लिया जा सके... याद रखिए, केंद्र सरकार इस बार सत्ता में आने के बाद सिर्फ इस बात पर सबसे अधिक ध्यान दे रही है कि कहाँ से और कैसे पैसे जमा किए जाएं, जिसके चलते RBI को पहले ही लूटा जा चुका है, साथ ही अनगिनत सरकारी संस्थानों को बेचा भी जा चुका है, अभी हम इस मुद्दे पर अधिक बात नहीं कर रहे हैं, सिर्फ़ सरकार की नीयत बताना चाह रहे हैं) को लिया जा सके... 24 मार्च को यह कवायद शुरू होती है, WHO / IMF कुछ शर्त रखता है, जिसको बिना किसी देर के या उस पर विचार विमर्श करके या कानून को ध्यान में रखते हुए विपक्ष से भी कोई विचार विमर्श नहीं किया जाता है बल्कि WHO / IMF की सभी शर्तों को मान भी लिया जाता है... WHO / IMF की शर्तों को जानने के लिए अधिक जानकारी के लिए यह लिंक देखें... 


(WHO / IMF की Covid-19 से लड़ने के लिए देशों के मुताबिक शर्तों को जानने के लिए यहाँ क्लिक करें 
https://www.imf.org/en/Topics/imf-and-covid19/Policy-Responses-to-COVID-19) 


WHO / IMF की शर्तों को बिना किसी भारतीय सरकारी शर्त के रखे बिना मानते ही 2 अप्रैल को केंद्र सरकार को WHO की सिफारिश पर भारत को 1 बिलियन डॉलर लोन की शक़्ल में क्रेडिट कर देता है... ख़बर की पुष्टि के लिए यह लिंक देखें...


https://www.worldbank.org/en/news/press-release/2020/04/02/world-bank-fast-tracks-1-billion-covid-19-support-for-india


अब जमातियों की फजीहत की तारीख़ 2 अप्रैल और World Bank के 1 बिलियन डॉलर के लोन की ख़बर 2 अप्रैल को जब आप जोड़ते हैं तो मुद्दा साफ़ समझ आता है, केंद्र सरकार ने 1 बिलियन डॉलर के लोन की ख़बर को जमातियों की ख़बर से कवर कर गोदी मीडिया से दूर कर दिया और इस तरह देश की जनता से भी इस बात को छुपा लिया गया... क्यूँ छुपाया गया, सरकार की मंशा क्या इस पर वो आप अच्छे से समझते हैं... 


अब ज़रा भारत में जो Lockdown हुआ उसके आँकड़ों पर भी बात करते हैं तो सरकार की नियत और साफ़ पता चल जाएगी... Net पर इस लिंक पर आपको हर दिन की COVID-19 से होने वाली मृत्यु दर का अपडेट आपको मिल सकता है...


https://www.statista.com/statistics/1093256/novel-coronavirus-2019ncov-deaths-worldwide-by-country/


हमने आज यानी 5 मई, 2020 के आँकड़ों को यहां लेते हुए एक Comparative study से आपको बताने की कोशिश की है... 


Statstics as on 5th May, 2020
Deaths country wise as per population as on year 2020... 


US / 33.1Cr / Death 72284 / 0.00021%
UK / 6.87 Cr / Death 29427 / 0.00042%
Italy / 6 Cr / Death 29315 / 0.00048%
Spain / 4.6 Cr / Death 25613 / 0.00055%
France / 4.5 Cr / Death 25513 / 0.00056%
India  / 138 Cr / Death 1695 / 0.000000122%


अब ज़रा मुद्दे को समझिए, US, UK, Italy, Spain, France जैसे देश अपनी जनता के लिए हर मुमकिन कार्य रहे हैं चाहे वो अर्थिक हो या स्वास्थ्य संबंधी तब उनके यहाँ उनकी जनसंख्या के अनुपात में वास्तव में आपदा देखी जा रही है... जब की भारत में सरकार किसी भी तरह ना आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी कोई ऐसा कार्य नहीं कर रही जिससे जनता को कुछ मदद मिल सके... वास्तव में आज Lockdown और COVID-19 से जनता खुद लड़ रही है तब आज 1695 लोगों की मृत्यु हुई हैं... 


अब ऊपर के आँकड़ों को देखते हुए आप सोच कर देखिये क्या 2 महीने का Lockdown देश हित में हुआ? तो खुलासा यह है अन्त में कि, वास्तव में 60 दिन का Lockdown देश की जरूरत नहीं था, बल्कि सरकार द्वारा 1 बिलियन डॉलर का लोन लेने के लिए सोची समझी साज़िश थी... आपको बताते चलें, WHO / IMF के COVID-19 से लड़ने के लिए जो क़ानून बनाए हैं (लिंक ऊपर साझा किया जा चुका है), उसमें साफ़ साफ़ बताया गया है कि, आपदा लोन किसी देश को तभी मिल सकता है जब वो देश लिखित में उनके निर्देश का पालन करें, और भारत ने उनके निर्देश माने... जिनमें मुख्य रूप से दो बातेँ बहुत आवश्यक हैं 
1. 60 दिन का Lockdown 
1. 4 माह की Social Distancing 


तो पूरी कहानी का सारांश बस इतना की, देश की बर्बादी, जनता की तकलीफ़, व्यवसाइयों की बर्बादी, बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य, भुखमरी इत्यादि को नजरअंदाज कर WHO / IMF के हुक्म की तामील करते हुए यह सारा नाटक 1 बिलियन डॉलर के लिए किया गया, जो लिया तो बीजेपी सरकार ने है, लेकिन वापसी कौन सी सरकार करेगी और जनता से कैसे उगाही की जाएगी वो आपको आने वाले दिन ही बतायेंगे.... 


1 बिलियन डॉलर = 6,854 Cr रु 


मेरा वादा पूरा हुआ... लेकीन इसको तैयार करने में मेरा सारा दिन निकल गया... तो आप तक इस ख़बर को लाने के लिए आपसे गुज़ारिश है कि, आप सब मेरे और मुल्क के हक़ में दुआ कीजिएगा...
~हुमा 6th May, 2020