किसानों_और_उपभोक्ताओं_की_लूट_की_व्यवस्था_है #शिवराज_सरकार_द्वारा_मंडियो_से_बाहर_खरीदने_की_व्यवस्था_करना :माकपा


भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा गांव गांव जाकर लायसेंसधारी आड़तियो को गेहूं खरीदने की व्यवस्था करना किसानों और उपभोक्ताओ दोनों के लिए ही लूट के नए रास्ते खोलने जैसा है। #मार्क्सवादी_कम्युनिस्ट_पार्टी ने इस व्यवस्था से सामने आने वाली कमियों के बारे को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की है इसे बंद करने की मांग की है।


#माकपा_राज्य_सचिव_जसविंदर_सिंह ने कहा है कि गांव गांव या खेत पर जाकर ही किसानों से गेहूं खरीदने की व्यवस्था सुनने में तो लुभावनी लगती है। लेकिन अनुभव यही है कि जब सरकार खरीदी से अपने हाथ खींच लेती है तो फिर आड़तिए और बिचोलिए औने पौने दामों पर अपनी फसल बेचने के लिए किसानों को मजबूर करते हैं। सरकारी खरीद न होने के  कारण किसानों को अभी भी 1500 से 1600 रुपए के बीच अपनी फसल बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। प्रदेश सरकार ने इस लूट को रोकने की बजाय इसे संस्थागत रूप दे दिया है। इससे किसानों को लूट तो बढ़ेगी ही,साथ ही सरकारी खरीद न होने से उपभोक्ताओं को भी कालाबाजारी में महंगे दामों पर खाद्यान मिलेगा। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए भी इससे समस्या उत्पन्न होगी।


#मार्क्सवादी_कम्युनिस्ट_पार्टी ने कहा है कि कोरोना संकट के कारण जब आमतौर पर वसूलियां तीन महीने के लिए रोक दी गई हैं, तब भी किसानों के सहकारी और सरकारी बैंकों, बिजली, सिंचाई और राजस्व विभाग आदि की वसूलियों की सूची खरीद केंद्रों पर पहुंचा दी गई है। जिससे किसान आमतौर पर सरकारी खरीद केंद्रों पर गेहूं बेचने के प्रति उत्सक नहीं है।


#माकपा ने मांग की है कि सरकार किसानों की सारी वसूलियां स्थगित करे और आड़तियों और फूड प्रोसैसिंग कंपनियो को गांव गांव खरीदी के लिए भेजने के बजाय सरकार खरीद एजेंसियो को गांव जाकर किसानों से एमएसपी पर गेहूं खरीदने की व्यवस्था करना चाहिए ताकि किसानों और उपभोक्ताओं की लूट को रोकना चाहिए
  जसविंदर सिंह 
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