मीडिया जनता के हित के सवालों को उठाने के बजाय दबाने के काम आ रहा है।

अचानक 9 बजते ही पटाखे की आवाज से ध्यान आया कि कोरोना दीवाली का वक्त हो गया। हम बाहर निकले अरे, वाकई दीवाली हो रही थी। दुख के वक्त में आनन्द मनाने के मौके तलाशती प्रजा को साहेब ने मौका दिया। मौत और बीमारी के शिकंजे में फंसी मानवता पर मणिकर्णिका की होली नही दीवाली । मैं जिस परिसर में रहती हूं वो गांधी के विचारों पर चलने वाली सन्स्था का परिसर है। जो गांधी अपने जन्मदिन के दिन भी एक दिया जलाने को तेल की बर्बादी कहते हैं क्योकि गरीब की रोटी सुखी है।दो परिवार जिसमे एक मेरे पड़ोस में है आ अमरनाथ भाई के बेटे बहु, दूसरे हम लोग ही थे जो अलग अलग रहे बताते चले कि इसीलिए यह परिसर हमारे जैसे लोगो के लिए नही  ,बाकी सभी गांधी आश्रम से ले कर प्रकाशन के कार्यकर्ताओं के परिवार दिया, टॉर्च जला के बाकायदा हल्ला मचा रहे थे।मैं पचास बार के अनुभवों से कह रही हूं कि गांधी विचार के किसी सार्वजनिक हित के कार्यक्रम में इन कार्यकर्ताओ और परिवार के सदस्यों से आप भागीदारी करने का आग्रह कीजिये, कोई सहयोग कत्तई नही मिलेगा। नॉकरी करने वाले भी तमाम लोग दूसरी पीढ़ी के है इसी सन्स्था में। कोई वैचारिक निष्ठा कोई सक्रियता जरूरी नही। हमारे बचपन से हम लोगो को गांधी विचार की शिक्षा इसी परिसर में मिली पर वो हमारे मा पिता की देन है। बाकी तो हम जैसे लोग नितांत अकेले हैं अपने अपने दायरों में।इसी कारण सामाजिक दायरों में तमाम साथियो ने जो वैचारिक रूप से इस भेड चाल से अलग दिखते थे उन्होंने भी सामाजिक दबाव में परिवार के अन्य सदस्यों की मर्जी बता के फोटो और पोस्ट डाली दिया बत्ती की। हालांकि यह समय इस तरह की कमजोरी दिखाने का नही। विपक्ष को जिंदा रहने दीजिए। देश के लिए लोकतंत्र के लिए। बनारस शहर के 4 थाना क्षेत्रो में कर्फ्यू लगा है। पुलिस कप्तान अब लंच पैकेट्स और अनाज बांटने में लगे लोगो पर कार्यवाही की घोषणाएं कर रहे हैं, लोगो की मदद भी पुलिस की मौजूदगी में करनी होगी। जीवन के हर पल में सरकार और पुलिस का दखल बढ़ता जा रहा है। मीडिया जनता के हित के सवालों को उठाने के बजाय दबाने के काम आ रहा है। अब तो ndtv भी वही कर रहा है। मीडिया के माध्यम से कोरोना के साथ अब मरकज और मुसलमानों को जोड़ के सरकार सवालों से अपना पीछा छुड़ा ली है।सँख्या बढ़ रही है वो सब मरकज के तबलिगी के कारण है यब अब हर चैनल हर फर्जी आई टी सेल भी बता रहा है। तो लोग जैसे जैसे मरेंगे या बीमार पड़ेंगे सारा गुस्सा बगल के मुसलमान पर निकाले या कोई उनकी मदद न करे यह तय हो गया। बाकी मजदूरों का क्या, अब तक पैदल घर पहुँच गए होंगे।


जागृति राही