पानी हर जगह सूख रहा है
पानी तो आँखों में होना था
वे सूनी-सूनी हैं
पानी तो चेहरे पर होना था
वह सड़क-सा उजाड़ है
पानी में नाव-सी उन औरतों को
बहना था,वे किनारों पर बंधी पड़ी हैं
पानी,उस तानाशाह ने क़ैद कर लिया है
और शराब की तरह पी कर
ऊलजुलूल बकता है
पानी की कथा तो वह औरत जानती है
जिसने पानी पी कर मुँह पोंछते हुए
सर पर ईंटें उठाई हैं
पानी के अर्थशास्त्र पर दुनिया टिकी है
यह वह औरत बहुत अच्छी तरह जानती हैं
आटे में पानी मिलाते हुए ॥
प्रमोद बेड़िया