महिषासुर और दुर्गा दोनों काल्पनिक चरित्र है।






चिंतन मंथन :



मेरे एक फेसबोक मित्र ने मुझे बताया की महिषासुर और दुर्गा दोनों काल्पनिक चरित्र है। मैंने कहा आपका कथन शायद ठीक हो सकता है । कुछ अप्रत्यक्ष सवाल मेरे जेहन में उठता रहता है क्योकि इस संबंध में कोई प्रत्यक्ष प्रमाण हमारे पास नही है की ऐसे चरित्रों का कोई अतित्व था भी । केवल कथा कहानियों को इतिहास कहना मूर्खतापूर्ण बात है । लेकिन हो सकता है की उन कथाओं के अंदर कुछ वास्तविकता को चरित्र के रूप में छिपाया गया हो जो भारत में दो अलग अलग सभ्यताओं के आपसी द्वंद को दर्शाने का प्रयास किया गया हो ।



आज तक मैंने छह हाथों वाला या चार सिर वाला मनुष्य पैदा होते नही देखा और ना ही मानव और पशु के संयोग से पैदा हुआ किसी इंसान या पशु को ही देखा है । लेकिन विश्व के विभिन्न धर्म मे ऐसे चरित्र को अलौकिक रूप से दर्शाया गया है जैसे बेबिलोनिया ,रोमन ,ग्रीक और इजिप्टियन सभ्यताओं में उनके देवताओं का वर्णन किया गया है । जिसकी वास्तविकता में ही कई प्रश्न उठ खड़े होते हैं । भारत मे इसकी शुरुवात वैदिक काल से ही शुरू हो गया था यह परम सत्य है।



दक्षिण भारत के कुछ राज्यो को छोड़ भारत के कुछ राज्यो में दशहरा का पर्व मनाया जाता है। इस पर्व की सर्व प्रथम शुरुवात बंगाल से शुरू हुई और धीरे धीरे यह फैलते हुए अन्य दूसरे राज्यो में भी मनाया जाने लगा। अब तो इसके आयोजन में करोड़ो रूपये खर्च किये जाते हैं । शानदार पंडाल और लाइट से शहर प्रकाशमान हो जाता है लोगो का भीड़ उमड़ उठता है इसके भव्य आयोजन से। नव रात्रि के प्रथम दिन से ही रामलीला शुरू हो जाता है और फिर दशमी को राम का चरित्र करने वाला रावण दहन के दिन शाम को रावण के विशाल पुतले को जलते हुए तीर से जला दिया जाता है जिसे देखने के लिए पूरी भीड़ उमड़ पड़ती है । यह सब हम लोग बचपन से देखते आ रहे हैं।



कहा जाता है की यह पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय के उपलक्ष्य में मनाया जाता है । किवदंती या कथा कहे की माना जाता था की भारत के भूमि में दैत्य राक्षस या असुर रहा करते थे जो लोगों को परेशान किया करते थे या सताते थे । उन असुरों जिनमे महिषासुर महाबली दैत्य को कोई भी देवता पराजित नही कर पाए इस कारण देवताओं ने परेशान होकर देवी के पास गए । देवी ने नौ रूप धारण कर असुर राजा महिषासुर को देवी ने दसवें दिन दुर्गा रूप धारण करके आखिरकार उसकी हत्या करने में सफल हुई जिसके कारण यह पर्व मनाया जाता है।



दूसरा किवदंती रामायण से जुड़ा हुआ है जिसमे रावण को दुष्ट दुराचारी चरित्र के रूप में दर्शाया गया है । रावण द्वारा राम की पत्नी सीता का हरण यानी अगवा करने के कारण राम रावण की तलाश करते हुए लंका (शिलांग) तक पहुँच गए । दोनों पक्ष में भीषण युद्ध यानी लड़ाई झगड़ा हुआ और अंततः राम ने रावण की हत्या कर दी जिसे रावण वध कहा गया।



भारत में इस तरह के घटनाओं का कोई मौलिक ऐतिहासिक प्रमाण तो नही पाया गया किंतु आर्य ब्राह्मणों द्वारा लिखित पुस्तको में इस तरह के अलौकिक चरित्रों के बीच हुई युद्ध को धर्म और अधर्म , अच्छाई और बुराई के बीच युद्ध के रूप में सैकड़ो चरित्रों के रूप में प्रस्तुत किया गया जिसे भारत में जनमानस को बहुत हद तक प्रभावित किया है ।



यह पहेली अभी तक उलझा हुआ है की कथाओं में असुर कौन ? दैत्य कौन ? देवता कौन ? यह एक गंभीर प्रश्न है।

भारत मे सदियों से विभिन्न जातियों और आक्रांताओं का आना जाना लगा रहा है इस संबंध में हमारे पास कई ऐतिहासिक प्रमाण मौजूद है किंतु भारत भूमि में दैत्य राक्षस या अलौकिक शक्तियों के स्वामी देवताओं का अस्तित्व थोड़ा फेंटेसी लगता है । जिसके पास विलक्षण शक्तियों वाला चरित्र के रूप में जनमानस के बीच खूब प्रस्तुत किया गया जिसकी सत्यता पर ही कई प्रश्न उठ खड़े हो जाते हैं । इस विषय पर कोई जल्दी सवाल भी नही खड़े करते क्योकि बात किसी विशेष धर्म के भावनाओं और श्रद्धा से जुड़ा हुआ है ।



मुझे इन प्रसंगों से दो विपरीत सभ्यताओं के बीच लंबे कालो से संघर्ष की ओर संकेत करता है क्योंकि भारत के पूर्व इतिहास एवं उसके विभिन्न कालखण्डों में एक कड़ी कही खोती हुई दिखाई पड़ती है जिसपर तथाकथित इतिहासकारों ने एक बड़ा पर्दा आजतक डाल रखा है । भारत का इतिहास प्राचीन इतिहास वैदिक सभ्यता के पूर्व कही खो जाता है। वैदिक काल यानी जब वेदों को लिखा गया । लेकिन वैदिक काल के पूर्व क्या भारत में सभ्यता का विकास नही हुआ था ? फिर सिंध नदी के किनारे हड़प्पा और मोहन जोदड़ो की खुदाई में बड़े बड़े शहर को खोद कर निकाला गया उस विशाल नगरीय सभ्यता को किन लोगों ने बनाया था ? इस सभ्यता की नींव किन लोगों ने डाली थी ? वैदिक सभ्यता के लोग आर्य जाति के थे यह प्रमाणित है । लेकिन भारत में आर्य जाति के आगमन के पूर्व क्या अनार्य जाति नही थे क्या ? क्या पूरा भारत मानव विहीन था ? जंगलों कन्दराओं पहाड़ो और सुदूर क्षेत्रो में मानवों का निवास नही था ? संताली ,मुंडारी , कुड़ुख , खड़िया , हो ,गोंडी भाषा क्या आर्यो की भाषा थी ? मानवशास्त्र समाजशास्त्र एवं भाषाशास्त्र का इस संर्दभ में उनकी क्या अवधारणाएं है ? भारत के उन प्राचीन जातियों के विषय में जिसके पास उनकी अपनी मूलभाषा संस्कृति विशिष्ट जीवनशैली एवं सामाजिक जीवन होने के बावजूद आज उनकी गिनती नगण्य है ।



लंबे काल से आज भारत मे धार्मिक व्यवस्था पर आधारित संस्कृति प्रबल है । जिससे यहाँ की सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक व्यवस्था प्रभावित हुई है । कही ना कही धार्मिकता की आड़ में और तथाकथित इतिहासकारों द्वारा भारत की मूल सभ्यता और संस्कृति को दबाने छिपाने का प्रयास उन किवदंतियों के माध्यम वर्षो से किया ताकि भारत का प्रथम मूल सभ्यता को दुनियाँ से छिपाया जा सके।



- राजू मुर्मू

फ्रीलांस राइटर