मोदी सरकार की मज़दूर-मेहनतकश विरोधी नीतियों के खिलाफ़ रोष प्रदर्शन






देशव्यापी आह्वान पर लुधियाना के मज़दूर-नौजवान संगठनों ने किया




आज देशव्यापी आह्वान पर लुधियाना के मज़दूर-नौजवान संगठनों ने समराला चौक पर मोदी सरकार की देशी-विदेशी पूँजीपतियों की दलाली और मज़दूर-मेहनतकश विरोधी नीतियों के खिलाफ़ रोष-प्रदर्शन किया। आज देश भर में मज़दूर संगठनों के आह्वान पर लाखों मज़दूरों के रोष प्रदर्शन हुए हैं। लाखों किसान भी सड़कों पर उतरे हैं। लुधियाना में हुए रोष प्रदर्शन के जरिए संगठनों ने मज़दूरों का न्यूनतम वेतन 25 हज़ार करने, कोरोना के बहाने वेतन में नाजायज कटौती रद्द करने, श्रम क़ानूनों में संशोधन रद्द करने, मज़दूर-मेहनतकश विरोधी नये कृषि क़ानून रद्द करने, सरकारी संस्थानों-सुविधाओं का निजीकरण बंद करने, बेरोजगारों को रोजगार देने, सभी को मुफ़्त खुराक, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि सुविधाएं उपलब्ध कराने, उदारीकरण-निजीकरण-संसारीकरण की समूची नीति रद्द करने की माँग की गई। नए केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ़ जारी आंदोलन को कुचलने के लिए मोदी सरकार और हरियाणा की खट्टर सरकार द्वारा की गई नाकाबंदी और गिरफ्तारियों की सख्त शब्दों में निंदा करते हुए माँग की गई है कि सरकार अपनी दमनकारी नीति छोड़े। कृषि कानूनों के खिलाफ़ जारी संघर्ष को दबाने के लिए की गई पंजाब की आर्थिक नाकाबंदी बंद करने, राज्यों के हक बहाल करने, राष्ट्रों का दमन बंद करने, खुदमुख्त्यारी देने की मांग की गई। सी.ए.ए., एन.पी.आर., एन.आर.सी. रद्द करने, जनवादी अधिकारों के लिए जूझने वाले कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों, पत्रकारों की रिहाई के लिए ज़ोरदार अवाज बुलंद की गई।

रोष प्रदर्शन को कारखाना मज़दूर यूनियन, पंजाब के अध्यक्ष लखविंदर, इंकलाबी मज़दूर केंद्र के दीनानाथ, मोल्डर एंड स्टील वर्कर्ज यूनियन के विजय नरायण और हरजिंदर सिंह, नौजवान भारत सभा से शिवानी, टेक्सटाइल-हौज़री कामगार यूनियन के जगदीश, लोक एकता संगठन के गल्लर चौहान, जमहूरी अधिकार सभा के प्रोफेसर जगमोहन सिंह व अन्य जननेताओं ने संबोधित किया।

वक्ताओं ने मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ़ आक्रोश जाहिर करते हुए कहा कि अगर सरकार उनके माँग-मसलों का हल नहीं करेगी तो जनसंघर्ष और भी तीखा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की गरीबी, बेरोजगारी, महँगाई, बदहाली पैदा करने वाली नीतियों के चलते मज़दूर वर्ग और भी अधिक गरीबी बदहाली के गढ्ढे में धकेला गया है। अन्य मेहनतकश जनता को भी भयानक मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। कोरोना के बहाने किए गए लॉकडाउन के चलते हालात और भी भयंकर बन गए हैं। अब फिर सरकार जनसंघर्षों को कुचलने के लिए कोरोना के बहाने दमनकारी पाबंदियाँ थोपने की साजिश रच रही है। मज़दूरों और अन्य मेहनतकशों के पास अब सड़कों पर उतर कर संघर्ष के सिवा और कोई रास्ता नहीं है। संगठनों ने आर.एस.एस.-भाजपा की धर्म के नाम पर ‘फूट डालो और राज करो’ की फासीवादी नीति के खिलाफ़ जोरदार विरोध दर्ज कराया।




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