एक कुर्सी है जिसके बारे में कहा जाता है कि उस पर भारत के पांच प्रधान मंत्री बैठ चुके हैं

हमारे मुजफ्फर नगर वाले घर में एक कुर्सी है जिसके बारे में कहा जाता है कि उस पर भारत के पांच प्रधान मंत्री बैठ चुके हैं



नेहरु जी हमारे घर दो या तीन बार आये



हमारे ताऊ ब्रह्म प्रकाश शर्मा वकील थे कांग्रेसी थे



बार बार जेल जाते थे



आज भी कांग्रेस सेवा दल के मुखपत्र पर जो चित्र छपता है उसमें दस्ता नम्बर एक के दस्ता नायक हमारे ताऊ जी हैं जो बीच में बैठे हुए हैं



नेहरु उस दस्ते में एक केडेट के रूप में किनारे पर बैठे हुए हैं



हमारे ताऊ जी के जीवन पर छपी किताब में नेहरु जी लाल बहादुर शास्त्री और हमारे ताऊ जी के संयुक्त कामों का जिक्र है



उस किताब में लिखा है और हमारी दादी बताती थीं कि इंदिरा हमारे यहाँ दो बार आई



हमारी दादी जी और घर के बुजुर्ग यह भी बताते थे कि शास्त्री जी गांधी आश्रम में काम करते थे और हमारे घर में रहते थे



समाजवादी नेता राजनारायण जिन्होनें सन सतहत्तर के चुनाव में प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी को हराया था



आजादी से पहले पुलिस से छिप कर छह महीने हमारे हमारे में रहे



हमारी दादी बताती थी राजनारायण बहुत मोटा था मैं उसे गोप कहती थी



गोप उस समय फिल्मों में एक हास्य कलाकार थे



चौधरी चरण सिंह भी नजदीक बागपत के रहने वाले थे कांग्रेसी थे और हमारे ताऊ जी के साथ जेल में रहे



चरण सिंह हमारे घर पर कई बार आते थे ऐसा हम अपने घर में सुनते थे



आजादी के बाद ताऊ जी ने कांग्रेस छोड़ दी और सोशलिस्ट पार्टी में शामिल हो गये



आपातकाल के दौरान लगभग सभी विरोधी नेताओं को जेल में डाल दिया गया था



लेकिन हमारे ताऊ जी को गिरफ्तार नहीं किया गया था



मुजफ्फर नगर कचहेरी में एक समारोह में एक कांग्रेसी वकील ने इंदिरा गांधी जिंदाबाद का नारा लगा दिया



हमारे ताऊ जी ने मंच पर खड़े होकर विरोध किया की यह सरकारी समारोह है इसमें किसी व्यक्ति के नाम का जिंदाबाद नहीं बोल सकते



लोगों ने चर्चा शुरू की थी आज तो पंडित जी की गिरफ्तारी हो ही जाएगी



बाद में सूत्रों से पता चला कि इंदिरा जी ने पुलिस से कहा हुआ था कि ब्रह्म प्रकाश शर्मा जी को गिरफ्तार न किया जाए इन्हें बोलने दीजिए



बाद में जनता पार्टी का गठन हुआ मोरारजी देसाई मधु दंडवते शांति भूषण और चंद्रशेखर मुजफ्फरनगर में हमारे घर आए थे



मुजफ्फरनगर अदालत परिसर में हमारे ताऊ जी के नाम का एक परिसर बना हुआ है जिसमें वकीलों के चेंबर है



उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा ने पिताजी को 1974 में सीलिंग की जमीन बांटने का काम सौंपा था



पिता जी को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया



पिताजी ने 20 लाख एकड सरकारी जमीन भूमिहीनों को बांटी और खुद भूमिहीन रहे



इंदिरा गांधी जब चुनाव हारी तो निर्मला देशपांडे के साथ उनसे सबसे पहले मुलाकात करने वालों में मेरे पिताजी थे



मैं इंदिरा जी से पहली बार तब मिला जब 12वीं क्लास में पढ़ता था



उसके बाद मेरे बहनोई जो कांग्रेस के सांसद थे उनके साथ कई बार इंदिरा जी से मिलने जाना हुआ



इंदिरा जी जब विपक्ष में थी तब आर एस एस वाले उनकी मीटिंग में पथराव करते थे



विनोबा जी की मानस पुत्री निर्मला देशपांडे तकिए लेकर इंदिरा जी के साथ रहती थी और पथराव होने पर तकिये के नीचे इंदिरा जी को छुपा लेती थी



चुनाव हारने के बाद इंदिरा जी ने जो पहली सार्वजनिक सभा की उस का आयोजन हमारे बहनोई ने छोटा उदयपुर जो एक आदिवासी इलाका है वहां किया था



इंदिरा जी की हत्या के बाद दिल्ली में जब दंगे हुए तब हमारा परिवार दिल्ली में ही था



मैं और मेरे पिताजी उस दिन तीन मूर्ति के पास साउथ एवेन्यू में ही थे



तीन मूर्ति में इंदिरा जी का शव रखा हुआ था वहां से लौटने वाली भीड़ ने सामने एक सरदार जी की चाय की दुकान पर हमला किया और सरदार जी को मारने की कोशिश की



मेरे पिताजी दौड़े मैं भी साथ में दौड़ा



मेरे पिताजी ने उन लोगों के हाथ से लोहे के सरिया छीन लिए और चिल्ला कर बोले कि कुछ मूर्खों ने इंदिरा जी के शरीर की हत्या करी है आप उनकी आत्मा की हत्या कर रहे हैं



बाद में मैं दिल्ली छोड़कर अपनी शादी के 20 दिन बाद पत्नी के साथ छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा के अंदर एक गांव में जाकर रहने लगा



हमारे आश्रम के 3 किलोमीटर दूर महेंद्र कर्मा का घर था जो कांग्रेस के नेता थे



महेंद्र कर्मा मेरे अच्छे दोस्त बने वह अक्सर मुझसे किताबें मांग कर पढ़ने के लिए ले जाते थे



बाद में वह मंत्री बने और इस दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर मुझसे आकर बात की



धर्मनिरपेक्षता के मुद्दे पर मेरी उनसे लंबी चर्चा हुई विधानसभा में जवाब देने के लिए कई बार उन्होंने मुझसे अपना जवाब तैयार करने में मदद ली



बाद में जब सलवा जुडूम शुरू हुआ और केंद्र में चिदंबरम ने आदिवासियों के ऊपर जुल्म करने वाले सलवा जुडूम को समर्थन दिया और ग्रीन हंट चलाया तब हम आदिवासियों के पक्ष में खड़े हो गए



बाकी कहानी मैंने अपनी किताब 'विकास आदिवासी और हिंसा' में लिखी है