करते हो आंकड़ों में वकालत किसान की ।
आकर जमीं पे देखिए हालत किसान की ।।
मौसम ने खाद-बीज-पसीना डुबा दिया
आई न घर में लौट के लागत किसान की।।
कहते हो मुआवजे की घोषणाऐं हो गईं
क्या दे सकेंगे पूरी वो मेहनत किसान की।।
मंडी में लूटपाट और डीजल की किल्लतें
सरकार हर कदम पे है आफ़त किसान की।।
फ़रियाद न्याय की कभी मुंसिफ़ से मिन्नतें
होती है हर जगह पे ज़लालत किसान की।।
लड़ता है हौसले से रोज़ जिंदगी की जंग
चट्टान सी कठोर है हिम्मत किसान की।।
तन पर फटा लिवास है बेटी हुई ज़वान
गिरवी है साहूकार को इज्ज़त किसान की।।
★दौलतराम प्रजापति
@
Daulatram Prajapati