श्रीलाल शुक्ल- उद्देश्यपूर्ण व्यंग्य लेखन के लिये विख्यात साहित्यकार

स्मरण : श्रीलाल शुक्ल

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समकालीन कथा-साहित्य में उद्देश्यपूर्ण व्यंग्य लेखन के लिये विख्यात साहित्यकार श्रीलाल शुक्ल की आज पुण्यतिथि है l



श्रीलाल शुक्ल अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत और हिन्दी भाषा के विद्वान थे। श्रीलाल शुक्ल संगीत के शास्त्रीय और सुगम दोनों पक्षों के रसिक-मर्मज्ञ थे। श्रीलाल शुक्ल जी ने गरीबी झेली, संघर्ष किया, मगर उसके विलाप से लेखन को नहीं भरा। उन्हें नई पीढ़ी भीई सबसे ज़्यादा पढ़ती है। वे नई पीढ़ी को सबसे अधिक समझने और पढ़ने वाले वरिष्ठ रचनाकारों में से एक रहे। न पढ़ने और लिखने के लिए लोग सैद्धांतिकी बनाते हैं। श्रीलाल जी का लिखना और पढ़ना रुका तो स्वास्थ्य के गंभीर कारणों के चलते। श्रीलाल शुक्ल का व्यक्तित्व बड़ा सहज था। वह हमेशा मुस्कुराकर सबका स्वागत करते थे। लेकिन अपनी बात बिना लाग-लपेट कहते थे। व्यक्तित्व की इसी ख़ूबी के चलते उन्होंने सरकारी सेवा में रहते हुए भी व्यवस्था पर करारी चोट करने वाली राग दरबारी जैसी रचना हिंदी साहित्य को दी। दो साल पाहिले संचार मंत्रालय , भारत सरकार ने उन पर डाक टिकिट जारी किया है जिसमें उनका नाम पंडित श्रीलाल शुक्ल लिखा है l पंडित शब्द का ना उन्होंने कभी प्रयोग किया और ना उनके जीते जी कभी किसी ने उनके लिए यह विशेषण दिया l यह शब्द कहाँ से आया यह एक रहस्य है ?



श्रीलाल शुक्ल जी का जन्म 31 दिसम्बर 1925 को एवं निधन 28 अक्टूबर 2011 को हुआ l



पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि