मऊ की बेटी डॉ0 ऐरम नाहिद ने लहराया सफलता का परचम, 17 गोल्ड मेडल अपने नाम

                                            डी.एम (इंडोक्रिनोलॉजी) में भी प्राप्त की सफलता।



मऊ : कठिनाइयां कितनी भी हो, जब लक्ष्य को पाने की चाहत प्रबल हो तो दुनिया की कोई भी ताकत आपको आपके मंज़िल तक पहुँचने से नहीं रोक सकती । यह सिर्फ कहने की बात नहीं है बल्कि एक सच्चाई है। हमारे समाज में ऐसे कई उदाहरण हैं जहाँ आर्थिक, सामाजिक और पारिवारिक चुनौतियों का सामना करते हुए लोग सफलता की कहानी लिखे हैं। हमारी आज की कहानी भी एक ऐसे ही महिला के इर्द-गिर्द घूम रही है, जिन्होंने बचपन से ही चुनौतियों का सामना किया और हार ना मानते हुए अपने-आप को इसका मुकाबला करने के काबिल बनाया। आज वह बच्ची हमारे बीच एक सफल डाक्टर के रूप में हमारे सामने आयी है।

मऊ के मुहल्ला डोमन पूरा ज़री धागा व्यवसायी हाजी शफीक अहमद डायमण्ड की बेटी डॉ0 ऐरम नाहिद ने NEET- SS 2020 के माध्यम से प्रथम प्रयास मे डी.एम (इंडोक्रिनोलॉजी) मे आल इंडिया 45 वीं रैंक हासिल करके मऊ का नाम रोशन किया उसके चयन होने पर परिजनों, शुभचिंतकों व प्रशंसकों में खुशी की लहर है

वर्तमान समय मे इनका चयन सीनियर रेसिडेंस इंडोक्रिनोलॉजी बीएचयू मे भी हुआ है। आज मीडिया से रूबरू डाक्टर ऐरम ने कहा कि जीवन मे कोई कार्य मुश्किल नही है बशर्ते उस कार्य को लगन मेहनत ईमानदारी से एक लक्ष्य को टार्गेट करके ही सफलता पाई जाती है ।

डाक्टर ऐरम की प्रारंभिक शिक्षा अलफारूक माडल स्कूल से हुयी उसके बाद हाईस्कूल सेंट्रल एकेडमी से, इण्टरमीडिएट अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से, एमबीबीएस बीएचयू से प्रथम स्थान प्राप्त करते हुए 17 गोल्ड मेडल हासिल किया और एमडी मेडिसिन बीएचयू टॉपर भी रहीं। डॉ0 ऐरम नाहिद एक शिक्षित परिवार से है इनके बड़े भाई ज़फर इक़बाल एम.टेक कर ई वैल्यू सर्व कम्पनी मे मैनेजर है जबकि इनकी दो बहनें डॉ0 रखशिंदा नाहिद एमडीएस बीएचयू व डॉ0 ताबिन्दा नाहिद पीएचडी मैथमेटिक्स अलीगढ़ से कर रही हैं। छोटा भाई आमिर फ़राज़ एम.कॉम करने के बाद अपने पिता के साथ व्यापार में जुड़ा है। जबकि आरिफ शफीक अलीगढ़ से एमबीबीएस कर रहा है। डॉ ऐरम नाहिद के चाचा मोहम्मद शाहिद (आईएएस) सेक्रेटरी फूड सिविल सप्लाई में कार्यरत है। ऐरम नाहिद अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता व नाना मौलाना सईदुर्रहमान साहब प्रबन्ध नदवोतुल उलमा चेयरमैन इंटीग्रल इनवर्सिटी लखनऊ की दुआओं और दादा स्वर्गीय मास्टर मुमताज़ अहमद के प्रेणा की वजह से इस स्थान पर पहुंची हैं।




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