भारत चीन सीमा विवाद को लेकर 7वें दौर की बातचीत

भारत चीन सीमा विवाद को लेकर 7वें दौर की बातचीत हुई जिससे लद्धाख सीमा का कोई समाधान निकाला जा सके।



इसी के साथ फारुख अब्दुल्ला की ऑडियो क्लिप वायरल हुई तथा मीडिया का एकमात्र एजेंडा बनाकर उस पर बहस कराई गई या लाइम लाइट में लाया गया।



क्योंकि अभी तक चीन अथवा भारत की ओर से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं हुआ है तो ऐसी स्थिति में अटकलों के दौर शुरू हो जाते हैं, क्योंकि चीन अपनी पॉलिसी के अनुसार बहुत कम बकलोल करता है और चन्द शब्दो में बहुत आवश्यक होने पर कोई बयान जारी करवाता है तो उधर से कोई उम्मीद नहीं रखनी चाहिए।



राहुल गांधी के छींकने पर भी श्रीमती श्रीमती से लेकर कडाह मंत्री तक प्रेस कॉन्फ्रेंस करने चले आते हैं लेकिन इस विषय पर चुप्पी संदेह पैदा करती हैं।।



क्या फारुख अब्दुल्ला साहब से जानबूझकर चीन का नाम बुलवाया गया था ?



क्या कल की वार्ता में चीन ने पहले 370 दोबारा लागू करने की पहली शर्त रखी है?



क्या भारत सरकार अब फेस सेविंग चाहती हैं जिससे कश्मीर को पुनः राज्य का दर्जा दिया जा सके और लद्धाख सीमा पर कुछ देकर चीन की आक्रमणकारी नीति को शांत किया जा सके ?



कल रक्सा मंत्री श्री राजनाथ जी द्वारा पुलो के वर्चुअल उद्घाटन आदि को भी शेष दोनों घटनाओं से जोड़कर देखा जाना चाहिए।।



कुल मिलाकर यह स्पष्ट है कि अभी तक हमारे नीति निर्माता तथा उनके थिंक टैंक पाषाण युग की सोच रखते हैं और सौ साल पुराने फार्मूले आजमाते रहते हैं कि उंगली उठाकर कुछ बोलने मात्र से कोई दबाव में अा जाएगा या घुटने टेक देगा।



विजय युद्ध के बाद टेबल पर होती हैं बाबू, मीडिया में तो सिर्फ नाटक होता है।
Parmod Pahwa




( चित्र सांकेतिक है, गूगल से साभार)