मध्यप्रदेश के साथ साथ अन्य प्रदेशो पर भी आदिवासी समाज के साथ तरह तरह के शोषण, अत्याचार और आदिवासीयो का उन्मुलन किया जा रहां है आदिवासी समाज को शासन प्रशासन द्वारा नक्सली बना इनकाउनंटर कर मार दिया जाता या नक्सली बना कर जेल के अंदर बंद किया जा रहांहै। नक्सली उन्मुलन के नाम पर आदिवासीयों उन्मुलन किया जा यहां है देश के उधोग पतियों के इशारों पर जल-जंगल और जमिन से बेदखल किया जा रहां है रिजर्ब फारेस्ट, कारिडोर, जलाशय विधुत घर आदि को स्थापित कर आदिवासियों बडें पैंमाने पर विस्थापित किया जा यहां है इन्ही ज्वलंत समस्याओं को लेकर राज्यव्यापी जन आंदोलन दिनांक 15 नवम्बर 2020 को मध्यप्रदेश के समस्थ जिला मुख्यालय मे आयोजित करने का अपिल सर्व आदिवासी समाज संगठन के द्वारा किया जाता है।15 नवम्बर 2020 को मध्यप्रदेश के समस्थ जिला मुख्यालय मे आयोजित करने का सर्व आदिवासी समाज संगठन के द्वारा किया है।
प्रमुख मांगें
1- विगत दिनांक 06/09/2020 को छ.ग. सीमा में गढी थाना अंतर्गत पुलिस पार्टी हांकफोर्स के द्वारा फर्जी एनकांउटर कर मारा गया। आदिवासी झामसिंह के हत्यारों पर ST/SC ACT. SECTION 3(2)5 सी.आईपीसी की धारा 302, 307, 201, 147, 148, 149, 120 बी के तहत अपराध पंजीबध्द हो।
2- मृतक झामसिंह के दोनों पुत्रों को शासकीय नौकरी एवं पत्नी एवं तथा पुत्री को रुपये एक करोड का मुवाअजा दिया जाए।
3- मृतक झामसिंह की हत्या तथा पूर्व में आदिवासियों पर हुए फर्जी एनकांउटर जिसमें हीरालाल तेकाम डाबरी को गोदरी के जंगल में विगत 24 नवम्बर 2018 में हत्या हुई है, इनके परिवारजनों को भी मुवाअजा राशि दिया जाए तथा पूर्व में नक्सली के नाम इनकांउनटर किया गया व अनेंकों आदिवासीयों के ऊपर नक्सली के नाम से अपराधिक प्रकरण लगा कर जेल में डाल दिया गये प्रकरणों की उच्यस्तरिय ज्युडिशियल मजिस्टि्यल जांच किया जावें।
4- शासन द्वारा नक्सली उन्मूलन कार्यक्रम के तहत चलाऐ जा रहे अभियान में निर्वाचित जनप्रतिनिधियों एवं सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ वैकल्पिक विचार मंथन के कार्यक्रम बनाते जाए।
5- विगत वर्ष 2016 मे ग्रांम जगला (नव्ही) के तीन बैगा सदस्यों में एक गर्भवती महिला को नक्सली संगम सदस्यों के नाम अपराधिक प्रकरण लगा जेल भेजा गया। जहाँ गर्भवती महिला श्रीमती सोनीबाई पति घनश्याम बैगा एक बच्चें को जन्म दी किन्तु जेल अभिरक्षा में होते हुए बच्चें की मृत्यु हो गई जिसपर पीडिता को 20 लाख रु. का मुवाअजा दिया जाए।
6- मध्यप्रदेश मे घोषित पांचवी अनुसूचित क्षेत्र है जिसमें भी नियम विरुध्द गौंण खनिज जैसे (रेत) आदि का लीज गैर आदिवासीयों दिया गया हैं, जिसे तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाए तथा स्थानीय स्तर पर निजि उपयोग हेतु पारम्परिक रुप से स्थानीय जनजाति सदस्यों, समूह के नियंत्रण में राजस्व भूमि एवं वन भूमि से परिवाहन की छुट दिया जाए तथा चिन्हित रेत खदानों को जनजाति सदस्यों, समूह या इनकी सोसायटीयों को पारम्परिक अधिकार के तहत दिया जाए।
7- अनुसूचित क्षेत्रों में तथा बहुता: आदिवासी निवास कर रहे ऐसे वन क्षेत्रों मे जल-जंगल और जमिन पर अनुसूचित जनजाति(आदिवासी) व पारम्परिक निवासीयों का संवैधानिक अधिकार होते हुए शासन द्वारा कांटेदार तार फैंसिग कर ग्रामीण जनों को निस्तार व पशु चराई से रोका एवं उनके अपने अधिकारों से वंचित किया जा रहां है। तथा हमारे समुदायिक निस्तार,व अधिकार क्षेत्रों को टायगर जोन व कारीडोर बनायें जाने एवं मध्यप्रदेश के37400 स्क्वेयर किलोमीटर जंगल को मध्यप्रदेश शासन 30 वर्षो के लिए निजि हाथों (प्रायवेट) को देने का प्रस्ताव बनाया है जिसे निरस्त किया जाए और वन अधिकार मान्यता कांनून अधिनियम 2006 एवं 2012 के तहत सामुदायिक वन अधिकार पत्रक दिया जाए।
8- कान्हा नेशनल पार्क व मध्यप्रदेश के अन्य आरक्षित वन क्षेत्र (रिजर्ब फारेस्ट एरिया) के कोर /बफर क्षेत्र के आदिवासी (जनजाति)तथा पारम्परिक निवासीयों को लघु वनोपज संग्रहण, व निस्तार हेतु छुट्टी दिया जाए।
9- राजस्व मद की भूमि पर विगत कई वर्षो से काबिज कृषकों एवं भूमिहिनों को स्थाई पट्टा दिया जाए।
10- आदिवासीयों की भूमि गैर आदिवासीयों लिमिटेड कंपनियों व निजि प्रायवेट लिमिटेड कंपनी के द्वारा कब्जा किया गया है जिसे मध्यप्रदेश भू राजस्व सहिता की धारा 170ख 2(ए) के तहत वापस दिलाया जाए।
11- मध्यप्रदेश मे अनुसुचित क्षेत्रों के विस्तारिकरण के पुन: अनुसुचित क्षेत्र का परिसिमन कर भारत का संविधान के भाग 10 अंतर्गत अनुच्छेद 244, अनुसूचित क्षेत्रों और अजुसूचित जनजाति क्षेत्रों का प्रशासन का विस्तारिकरण किया जाए