लसोड़ा: मीट से दस गुना ज्यादा ताकतवर

लसोड़ा: मीट से दस गुना ज्यादा ताकतवर इस फल के बारे में बेहद कम लोगो जानकारी है!


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आधुनिकता के इस दौड़ में हमने बहुत कुछ खोया हैं।लसोड़ा उसी कड़ी का एक फल है। महज 50 साल पहले इस फल का चूर्ण हर घर में पाया जाता था।मीट से भी 10 गुना ज्यादा ताकतवर माने जाने वाले फल का सेवन करने वाले लोगों की बड़ी जमात थी पर आज के प्रोटीन शेक के दौर में लोगो को इसके बारे में तनिक भी जानकारी नहीं है।

इसका सेवन करते है शरीर में ताकत आ जाती है. इसे आम भाषा में भारतीय चेरी भी कहा जाता है. इसका सेवन शरीर के लिए बहुत ही उत्तम और ताकत से भरपूर होता है.। आज भी जंगलों के आसपास रहने वाले लोगों के लिए यह प्रकृति का सर्वोत्तम उपहार है और वे इसे कई रूप में उपयोग करते हैं।

आयुर्वेद में लसोड़ा को कृमिनाशक और ताकतवर फल माना गया है. आप महीने भर में ही इसको लगातार खाकर शरीर में पहलवानों जैसी ताकत का अनुभव करेंगे.

लसोड़ा पोषक तत्वों और औषधीय गुणों से भरपूर होता है। देश के कई जगहों पर इसे गोंदी और निसोरा भी कहा जाता है। इसके फल सुपारी के बराबर होते हैं। कच्चे लसोड़े का साग और आचार भी बनाया जाता है। पके हुए लसोड़े मीठे होते हैं तथा इसके अंदर गोंद की तरह चिकना और मीठा रस होता है। इसके पेड़ की तीन से चार जातियां होती है पर मुख्य दो हैं जिन्हें लमेड़ा और लसोड़ा कहते हैं। इसका वानस्पतिक नाम कॉर्डिया मायक्सा है। । लसोड़ा की लकड़ी बड़ी चिकनी और मजबूत होती है। इमारती काम के लिए इसके तख्ते बनाये जाते हैं और बन्दूक के कुन्दे में भी इसका प्रयोग होता है। इसके साथ ही अन्य कई उपयोगी वस्तुएं बनायी जाती हैं।



लाभ



जब आधुनिक स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं थीं तो लसोड़े के प्रयोग से ही कई बीमारियां दूर की जाती थीं। लगभग हर घर में लसोड़े के बीज, चूर्ण आदि रखा जाता था। जिसे जरूरत पड़ने पर इस्तेमाल किया जाता था।



लसोड़ा नम और सूखे जंगलों में बढ़ता है। यह हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, राजस्थान आदि में होता है। जंगल के अलावा लोग अपने खेतों के किनारे पर भी इसे तैयार करते हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण इसके पेड़ लुप्त हो रहे हैं। इसके बीज से पेड़ तैयार करना लगभग असंभव है। औषधीय गुणों से भरपूर इस प्रजाति के संरक्षण की जरूरत है।

© लवकुश

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