1996 से पहले वीपी सिंह ने यह कहना शुरू कर दिया कि पासवान जी 1996 में प्रधानमंत्री बनेंगे
पासवान जी अब हमारे बीच नहीं हैं लेकिन भारत की राजनीति में खासकर बिहार की राजनीति में उनका प्रभाव जरूर रहेगा वर्तमान चुनावों में भी इसी बीच उनके दिवंगत हो जाने का असर भी दिखेगा ...

उनके राजनीतिक वारिस पुत्र चिराग पासवान राज्य के सबसे प्रभावशाली जनतादल यूनाइटेड और राष्ट्रीय जनता दल दे दूरी बनाकर भारतीय जनता पार्टी को ज्यादा तरज़ीह दे रहे हैं इसके कई कारणों में सबसे बड़ा कारण यह है कि बिहार की क्षेत्रीय पार्टियों में पासवान की लोकजनशक्ति पार्टी तीसरे चौथे नम्बर से ऊपर उठने की कूवत नहीं रखती इस बात को पासवान जी पहले से महसूस कर रहे थे इसीलिए वे अपने बेटे और परिवार की राष्ट्रीय तथा प्रदेश की राजनीति में भागेदारी को सुनिश्चित करने के लिए भाजपा को पहले नंबर पर देखना चाहते थे उसी लाइन पर चिराग पासवान काम कर रहे हैं ...कितना कामयाब होंगें यह तो वक़्त ही बताएगा लेकिन मेरा ख्याल है कि इस लाइन पर चलने से लोकजनशक्ति पार्टी का चिराग कभी नहीं बुझेगा ...!

23 साल की उम्र में विधायक बन जाने वाले पासवान जी 31साल की उम्र में सबसे ज्यादा वोट से जीतने का विश्व रिकार्ड कायम किए लेकिन 1977 में उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया ..

उस समय पासवान जी का सबसे बड़ा स्लोगन था " मैं उस घर में दीया जलाने चला हूँ जिसमें सदियों से अंधेरा था " लेकिन इंदिरा गांधी की हत्या के बाद वे भी चुनाव हार गए तभी वीपी सिंह का उदय हुआ और जनता दल बना हालांकि तब श्री रामधन वीपी सिंह के ज्यादा करीब थे लेकिन वीपी सिंह पासवान को बहुत पसंद करने लगे इस तरह 1989 में सरकार बनी और उनको श्रम एवं कल्याण मंत्रालय मिला नार्थे ईस्ट का झगड़ा सुलझाने का भी प्रभार दिया गया ...

तब पासवान जी के दिलोदिमाग में कम्युनिस्टों की तरह एक इंकलाबी विचार और साहस था बहुत कुछ करना चाहते थे खासकर भूमिहीनों और शहरी मज़दूरों के लिए लेकिन वीपी की सरकार गिरी तो ...

फिर से संघर्ष का दौर शुरू हुआ लालू बिहार में अपना व्यक्त्वि बिखेरने लगे पासवान के कद को चोट पहुंचाने लगा लेकिन वे लालू को बर्दास्त करते रहे और केंद्र की राजनीति में ज्यादा योगदान करते रहे ...

1996 से पहले वीपी सिंह ने यह कहना शुरू कर दिया कि पासवान जी 1996 में प्रधानमंत्री बनेंगे यह खबर पक्के तौर पर सबसे पहले 1995 में मैंने लिखी तब वीपी सिंह के जिब्राइल सोमपाल शास्त्री जी खुद जनसत्ता ब्यूरो चीफ राम बहादुर राय के चैंबर में बैठ कर मुझे पूरी बात बताए कि राजा साहब क्या चाहते हैं ...

हमारे यहां ब्यूरो चीफ और डिप्टी ब्यूरो चीफ के बीच काफी तीखी बहस के बाद काफी कुछ एडिट होने के बाद जनसत्ता में इस खबर के छपने के बाद लालू + शरद यादव पासवान के दुश्मन हो गए ..खैर

1996 में उस रोज मैं उनके साथ था जब सिक्योरिटी वालों के जरिए उनके भाई जेलमंत्री पशुपति कुमार ने हाजीपुर में जबरदस्त गड़बड़ी की खबर दी ...

एक पेट्रोल पंप के पास रुककर पासवान जी मुझे एकांत में ले गए और कहने लगे मेरे खिलाफ कोई साजिश हो रही है क्या ..मैंने कहां किसी में दम नहीं है आप चुनाव जरूर जीतेंगे चाहे एक वोट से जीतें ...फिर भी वे घबराए हुए थे हमारे साथ मोहम्मद इस्लाम साहब भी थे ..ज्ञात हो कि पासवान जी मतदान के दिन कभी भी अपने चुनाव क्षेत्र में नहीं जाते थे यह उनका प्रण था ...

उस रोज रात में खाना खाने के बाद उन्होंने मुझसे कहा कि असरार साहब मेरी एक ख्वाहिश है कि हाजीपुर में मैं एक डिग्री कालेज खोलूं क्या आप यह काम करा सकेंगे मैंने कहा सर अभी तो प्रधानमंत्री या बहुत बड़े मंत्री बनेंगे पता नहीं आपके हाथों से कितना बड़े बड़े निर्माण होंगे ......उन्होंने कहा आप बहुत उत्साही और आशावादी हैं लेकिन मैं ज़मीनी हालत देखकर बात कर रहा हूँ ..मैंने शर्त लगाने की चुनौती दी तब वे चुप होकर सोने चले गए ....

जब वे रेल मंत्री बने तब तक रेलवे के 6 ही जोन उन्होंने 2 साल के भीतर हाजीपुर समेत 4 और जोन बनाकर नया रिकॉर्ड बनाया ...रेल की भर्तियां में कशमीरियों के प्रति नरम रवैया अपनाते हुए खूब भर्ती किए खहते थे इससे वे राष्ट्ररीय धारा से जुड़ेंगे और भारत मजबूत होगा ...इसे वे अंग्रेजी में टैक्ट खहते थे ...

1996 में वीपी सिंह पासवान का नाम उछालने की बजाए कम्युनिस्ट नेता ज्योति बसु की प्रधानमंत्री बनाने की बात कहकर उस रोज भूमिगत हो गए ...यह सब क्यों हुआ और देवगौड़ा के बाद फिर एक बार पासवान जी प्रधानमंत्री बनते बनते रह गए इसके अलावा जब लालू ने अपनी मनमानी करते हुए अपनी निपट घरेलू पत्नी को मुख्यमंत्री बना दिया तब से पासवान जी को एक ऐसा धक्का लगा जिसने उनके अंदर की जनभवनाओं को कुचल कर रख दिया ..और तब से खुद को अपने परिवार की खुशहाली तक क्यों सीमित करते गए अर्थात राजनीतिक रूप से लक्ष्यविहीन और एक कट्टर सेक्युलर से साम्प्रदायिक ताकतों के गिरोह में क्यों शामिल हो गए थे इन सब बातों पर कल भी इसका अगला भाग लिखूंगा ...?