मां-बाप, स्कूल-कॉलेज के शिक्षक, मित्र, सहकर्मी, जीवन में मिलने वाले अच्छे-बुरे लोग, किताबें, जीवन की कठिन परिस्थितियां - ये सब हमारे शिक्षक होते हैं। हमारा व्यक्तित्व इन सभी के सम्मिलित प्रयास से बनता है। लेकिन इन तमाम शिक्षकों पर जो एक सबसे भारी पड़ता है, वह हमारी-आपकी पत्नियां ही होती हैं। ब्याह तक आपने जहां से और जितना भी ज्ञान हासिल किया हो, ब्याह के बाद घरवाली के ज्ञान के आगे सब दो कौड़ी का लगने लगता है। एक अच्छे शिक्षक की तरह पहले वह आपके मन-मष्तिष्क से जीवन भर का अर्जित ज्ञान धो-पोंछ कर साफ़ करेगी। किश्तों में पंख काटेगी और धीरे-धीरे उड़ाकू से पालतू बना डालेगी। धैर्य और स्टैमिना भी अद्भुत होता है पत्नियों का। सुबह नींद से जगाने से लेकर देर रात सुलाने तक उनका क्लास निरंतर चलता रहता है। आपके व्यक्तिगत और काम में खोज-खोजकर कमियां निकालेगी और ठोक-पीटकर उन्हें दुरुस्त करेगी। अपनी बातों के समर्थन में ऐसे अश्रु-विगलित तर्क देगी कि आप चाहकर भी उनका प्रतिकार न कर सकें। कहते हैं कि स्वयं को अज्ञानी समझना अच्छे छात्र की सबसे बड़ी पहचान है। इस भरी दुनिया में एक वही है जो हर पल आपको अपनी अज्ञानता और तुच्छता का अहसास दिलाती चलती है। सो आपको अगर अच्छे और सच्चे शिक्षक की खोज है तो आंख मूंद कर ब्याह कर लें ! शादीशुदा हैं तो समर्पण कर दें घर में मौज़ूद शिक्षिका के आगे। कृपा आनी शुरू हो जाएगी।
तमाम मित्रों को शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं !
dhruv gupt