हिन्दी दिवस प्रसंग
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मैं हिन्दी हूँ ....
मैं सूरदास की दृष्टि बनी
तुलसी हित चिन्मय सृष्टि बनी
मैं मीरा के पद की मिठास
रसखान के नैनों की उजास
मैं हिन्दी हूँ ...
मैं सूर्यकान्त की अनामिका
मैं पन्त की गुंजन पल्लव हूँ
मैं हूँ प्रसाद की कामायनी
मैं ही कबीरा की हूँ बानी
मैं हिन्दी हूँ ....
खुसरो की इश्क मज़ाजी हूँ
मैं घनानंद की हूँ सुजान
मैं ही रसखान के रस की खान
मैं ही भारतेन्दु का रूप महान
मैं हिन्दी हूँ ....
हरिवंश की हूँ मैं मधुशाला
ब्रज, अवधी, मगही की हाला
अज्ञेय मेरे है भग्नदूत
नागार्जुन की हूँ युगधारा
मैं हिन्दी हूँ....
मैं देव की मधुरिम रस विलास
मैं महादेवी की विरह प्यास
मैं ही सुभद्रा का ओज गीत
भारत के कण-कण में है वास
मैं हिन्दी हूँ ....
मैं विश्व पटल पर मान्य बनी
मैं जगद् गुरु अभिज्ञान बनी
मैं भारत माँ की प्राणवायु
मैं आर्यावर्त अभिधान बनी
मैं हिन्दी हूँ...
मैं आन बान और शान बनूँ
मैं राष्ट्र का गौरव मान बनूँ
यह दो तुम मुझको वचन आज
मैं तुम सबकी पहचान बनूँ
मैं हिन्दी हूँ.....
" अज्ञात"