मेरी आंखों में ये खला क्या है
तू अगर साथ है, ज़ुदा क्या है
दर्ज़ हैं इसमें ख़्वाहिशें सबकी
मेरे चेहरे में अब मेरा क्या है
मेरे हर नक्श का पता है उसे
आईना मुझको जानता क्या है![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhu4eeHkP0V__xkgAZQ-wWAeN6CDzLSKaI1MRjIc99U5HfHHnndMdtJvmkL4_0j_gzWBNxr-mX1DUBBkQx7od5lfxq3IYf4_1rLWyt-VLNyXhfnSNZiTAbDAOKgubBvKwBX8laZ6Qyr95Y/)
दर्द जिसका हो आंख रोती है
ग़ैर से अपना वास्ता क्या है
कभी क़ुरबत है फ़ासले हैं कभी
दरमियां अपने बेमज़ा क्या है
रास्ते की तलाश है सबको
अब सिवा इसके रास्ता क्या है
मुझसे हटके ज़रा सा चलता है
मुझमें एक और दूसरा क्या है
हमको जीना नहीं आया वरना
ज़िन्दगी जश्न के सिवा क्या है
ध्रुव गुप्त