महान दूरदर्शी मोड़ी जी

किसान गुलामी बिल की बहस से हटकर कुछ इतिहास की बात करते हैं और इतिहास भी चीन का।



आमतौर पर बेरोजगारी और भुखमरी इंसान को अपराध की ओर धकेलती है या वो किसी भी प्रकार से जुगाड लगाकर आगे बढ़ता जाता हैं।



जब मिस्र और सीरिया विज्ञान में आगे थे, अरब गणितज्ञ पैदा कर रहा था तब युरोप वाले जंगलों में नंगे घूमते थे और एशिया प्रकृति के आशीर्वादों से भरपूर व्यापार में आगे थे।



देखा जाए तो मंगोल और तुर्क युद्धों से अपनी कौम का पालन करते थे और पुर्तगाली सामुद्रिक व्यापार से।



फिर ब्रिटिश तथा यूरोपियन देशों ने भोले भाले एशियन एवम् अफ्रीकन देशों पर कब्ज़ा शुरू किया और एशिया के सर्वाधिक धनी हिंदुस्तान को गुलाम बनाया क्योंकि हमारे राजा महाराजा आपसी युद्धों तथा अय्याशियों में व्यस्त रहने वाले रानिवास के कुवें के मेंढ़क से ज्यादा सोचते भी नहीं थे।



इसी काल में ब्रिटिशर्स की निगाह चीन पर पड़ी और उन्होंने वहां के किसानों की तरक्की तथा व्यापार के लिए सहयोग करने का प्रस्ताव दिया।



चीन की राजशाही ने अंग्रेज़ो को एक बंदरगाह से व्यापार की अनुमति दे दी जहां से अंग्रेज़ चाय और अफीम का कारोबार करने लगे।



फिर अंग्रेज़ो ने वहा अफीम की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जिससे किसानों की आमदनी बढ़ गई साथ ही वो नशेड़ी भी हो गए।



हेंग राजशाही ने अंग्रेज़ो को कैंटो शहर तक सीमित कर दिया जिसे आज गवंगडो कहते है तो ब्रिटिशर्स ने चीन को युद्धों में लपेट लिया।



इतिहास में अफीम युद्ध के नाम से बहुत कुछ वर्णन है क्योंकि चीन युद्ध हार गया और खर्चे हर्जाने के एवज में हांगकांग द्वीप तथा तीन बंदरगाहों पर ब्रिटिशर्स का कब्ज़ा हो गया।



इसी दौरान जापान ने भी चीन पर आक्रमण कर दिया और उसके कई महत्वपूर्ण द्वीपों पर काबिज हो गया।।



यह सब काल हंड्रेड ईयर्स ऑफ हुमिलिएशन के नाम से दर्ज है। फिर माओ आए और उन्होंने बताया कि तुम्हारे पास भुखमरी है, गरीबी है, पिछड़ापन है लेकिन साथ में फावड़ा और हथौड़ा भी है जिससे तुम्हे आगे बढ़ना है।



तेंग शियाओ पिंग आए और उसी कड़ी में शी जिनपिंग ने चीन को महाशक्ति बना दिया।



हम भारतवासी भी उतने ही महान है लेकिन हमे पहली बार एक धूर धृष्टी वाला नेता मिला है जो हमे पहले गुलाम बनवाएगा, हमारे किसानों को बंधुआ मजदूरी करने पर मजबुर करेगा फिर हम भी सिर्फ सौ साल तक अवसाद में घुटते रहेंगे, कभी यहूदी हमारा शोषण करेंगे तो कभी अमेरिकी।



बेशक अब वो खुद शासन करने नहीं आएंगे किन्तु अपने भारतीय दलालों, तानाशाहों के माध्यम से ही गुलाम बनाए रखेंगे।



फिर शायद सौ या दो सौ साल बाद कोई मसीहा आयेगा, हमारी नींद खुलेगी और विद्रोह होगा फिर हम विकास करेंगे तथा विश्वगुरु बनकर इतिहास में अमर हो जाएंगे।



जैसे सोना तपकर और चोट सहकर कुंदन बनता है वैसा ही विकास एवम् उत्थान श्री मोड़ी जी अपनी प्रजा को देना चाहते है।।



इसलिए उज्जवल भविष्य के लिए सिर्फ मोड़ी समर्थन सिर्फ आपकी अगली पांच छह पीढ़ियों तक।


Parmod Pahwa