लगता है हम भूलने लगे हैं कि अपूर्वानंद होने का मतलब क्या है।

हर वो व्यक्ति जो विचारक प्राध्यापक प्रो. अपूर्वानंद जी को जानता है हतप्रभ होगा कि पुलिस उनसे दिल्ली दंगों के सिलसिले में पूछताछ कर रही है। उनका मोबाइल फोन ज़ब्त कर लिया है।


जिनका जीवन विचारों से पीढ़ियों के निर्माण के लिए समर्पित हो उन पर विध्वंस के आरोपों की उंगलियां यह बताती है कि यह चुप रहने का समय है।


अपूर्वानंद जी, जिन्हें उनके विद्यार्थी और पाठक सम्मान के साथ सर कहते हैं, उन्हें भी चाहिए कि फिलहाल लोकतंत्र की चिंता को छोड़ कर अपना वक़्त पुलिस को, दिल्ली को, इस देश को बताने में लगाएं कि वो तो प्राध्यापक हैं और शांति और भाईचारे के समर्थक।



लगता है हम भूलने लगे हैं कि अपूर्वानंद होने का मतलब क्या है।


कभी लगा नहीं कि वो एक सादी कमीज, जीन्स और थैला लिए दिल्ली की सड़कों पर टहलता या किसी कॉफ़ी शॉप में मित्रों के साथ बहुत शांत मुस्कुराहट ओढ़े देश दुनिया की चिंता करता, हमेशा एकता की बातें करता या जवाहर भवन में गभीर अध्ययन और लेखन में व्यस्त रहता प्राध्यापक किसी दिन पुलिस को सफाई दे रहा होगा कि वो तो जीता ही इस कामना के साथ है कि ये देश दंगा मुक्त हो!


प्रो. अपूर्वानंद ने कहा है कि वो पुलिस को जांच में पूरा सहयोग करेंगे और उन्होंने यह अपेक्षा भी की है जांच निष्पक्ष हो।


 Ruchir Garg