नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) तीन साल पुराने कथित चैट के आधार पर उन्हीं फ़िल्म स्टार्स को टारगेट कर रही है जो वैचारिक रूप से बीजेपी और मोदी विरोधी हैं। फ़िल्म इंडस्ट्री यानी बॉलीवुड की नम्बर एक स्टार दीपिका पादुकोने को तो इसलिये टॉरगेट किया जा रहा है क्योंकि वे JNU के आंदोलनरत छात्रों के समर्थन में जेएनयू परिसर में गयी थीं। NCB ने न तो इन फ़िल्म स्टार्स से किसी ड्रग की जब्ती की है और न उसकी खरीद-बिक्री का उसके पास कोई प्रमाण है। सिर्फ राजनीतिक प्रतिशोध के लिये इस तरह के केस बना कर इन स्टार्स को समन किया है। क्या NCB यह नहीं जानता है कि भारत में ड्रग स्मगलिंग का बहुत बड़ा नेटवर्क है जिसे राजनीतिक संरक्षण भी प्राप्त है? क्या NCB ने आज तक इस नेटवर्क को तोड़ने का कोई साहसिक कारनामा किया है? वर्तमान सरकार और उसकी एजेंसियों के अभी तक के अधिकांश छापे सिर्फ राजनीतिक प्रतिशोध से ही जुड़े हुए दिखाई दे रहे हैं।
कंगना रनौत प्रकरण के तत्काल बाद आयकर विभाग ने महाराष्ट्र की राजनीति के दिग्गज शरद पंवार, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उनके मंत्री पुत्र आदित्य ठाकरे को नोटिस जारी किये जिसकी टाइमिंग के पीछे की मंशा किसी से छिपी हुई नहीं है। इसी तरह राजस्थान में राजनीतिक विवाद खड़ा होने पर कांग्रेसी मुख्यमंत्री के निकटस्थ लोगों के निवास स्थानों और कार्यालयों में छापे मारने की मंशा के पीछे राजनीतिक एजेंडा ही था। क्या पिछले छह सालों में भाजपा के किसी नेता, मंत्री या कारपोरेट मित्रों पर कभी सीबीआई, ईडी या इन्कम टैक्स विभाग ने छापेमारी की कार्रवाई की? क्या सभी भाजपा समर्थक दूध के धुले हैं और सिर्फ विपक्षी ही दागदार हैं?
वर्तमान मोदी सरकार राजनीतिक प्रतिशोध की जिस तरह खेती कर रही है उससे सिर्फ जहर की फसल ही पैदा होगी। इससे आगे की राजनीति भी यदि बदला लेने और प्रतिशोध की भावना से भर जाए तो आश्चर्य नहीं होगा। कल तक वे सत्ता में थे, आज ये सत्ता में हैं, कल कोई और सत्ता में आएगा। यह प्रतिशोध की राजनीति देश को किस अंधेरी खाई में धकेल देगी, यह कहा नहीं जा सकता!
praveen malhotra