क्रांतिधर्मी समाजसुधारक, प्रखर राजनैतिक विचारक और दक्षिण में द्रविड़ आंदोलन के जनक -पेरियार

पेरियार जयंती है आज. ई वी रामासामी(17 सितम्बर, 1879-24 दिसम्बर,1973) जिन्हें पेरियार नाम से ही ज्यादा जाना गया, एक क्रांतिधर्मी समाजसुधारक, प्रखर राजनैतिक विचारक और दक्षिण में द्रविड़ आंदोलन के जनक थे.
अपने लंबे राजनीतिक जीवन के शुरुआती दिनों मे उन्होंने अपने इलाके में स्वाधीनता आन्दोलन को आगे बढ़ाने के लिए कांग्रेस में काम किया(सन् 1919-25). लेकिन कांग्रेस संगठन और उसके नेतृत्व के सामंती और ब्राह्मणवादी-पूंजीवादी सोच से क्षुब्ध होकर उन्होंने पार्टी छोड़ दी. सामाजिक-राजनीतिक महत्व के कई मसलों पर गांधी जी से उनका विचार-विमर्श चला पर गांधी और पेरियार किसी नदी के दो पाट की तरह थे. कई वर्षो तक जस्टिस पार्टी का नेतृत्व करने के बाद अंतत: उन्होंने सन् 1944 में द्रविदर कषगम्(Dravidar Kazhagam) नामक पार्टी का गठन किया. सन् 1973 के 24 दिसम्बर को वह दिवंगत हुए. आजीवन वह उत्पीड़ित समाज के लिए लड़ते और बोलते रहे.
पेरियार गांधी जी और कांग्रेस की राजनीति को ख़ारिज करते थे लेकिन भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन की बेमिसाल शख्सियत शहीद भगत सिंह की राजनीति और वैचारिकता को वह पसंद करते थे. भगत सिंह की फांसी से वह बहुत दुखी और उदास हुए थे. हुकूमत के इस घृणित कदम पर आक्रोश भी व्यक्त किया. अपनी पत्रिका 'कुदियारासू' में उन्होंने भगत सिंह और उनके साथियों की फांसी पर जो संपादकीय अग्रलेख लिखा, वह बेहद विचारोत्तेजक और ऐतिहासिक महत्व का दस्तावेज है. 29 मार्च, 1931 के अंक में यह लेख छपा था.
ऐसे महान् विचारक, समाजसुधारक और राजनीतिज्ञ पेरियार की स्मृति को हमारा सलाम.


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