झण्डा गीत के रचयिता श्यामलाल गुप्त

झंडा उंचा रहे हमारा iiiiiiiiii
झण्डा गीत के रचयिता श्यामलाल गुप्त ‘पार्षद का आज जन्मदिन है l
----------------------------------------------------------------------------
स्वतन्त्रता संग्राम के दौरान उत्प्रेरक झण्डा गीत 'विजयी विश्व तिरंगा प्यारा' लिखने वाले श्यामलाल गुप्त ‘पार्षद’ ( जन्म: 16 सितम्बर 1893 - मृत्य: 10 अगस्त 1977) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक सेनानी, पत्रकार, समाजसेवी एवं अध्यापक थे। वर्ष 1921 में गणेश शंकर विद्यार्थी के संपर्क में आये तथा राष्ट्रीय स्वतंत्रता आन्दोलन में सहभागिता की। आपने एक व्यंग्य रचना लिखी जिसके लिये तत्कालीन अंग्रेज़ी सरकार ने आपके उपर 500 रूपये का जुर्माना लगाया। आपने वर्ष 1924 में झंडागान की रचना की जिसे 1925 में कानपुर में कांग्रेस के सम्मेलन में पहली बार झंडारोहण के समय इस गीत को सार्वजनिक रूप से सामूहिक रूप से गाया गया। यह झंडागीत इस प्रकार है- 1973 में उन्हें 'पद्म श्री' से अलंकृत किया गया।1952 में लाल क़िले से उन्होंने अपना प्रसिद्ध 'झंडा गीत' गाया। 1972 में लाल क़िले में उनका अभिनंदन किया गया। जन्मदिवस पर महान स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी को शत शत नमन l



विजयी विश्व तिरंगा प्यारा
================
झण्डा ऊँचा रहे हमारा
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा - 2
झण्डा ऊँचा रहे हमारा


सदा शक्ति बरसाने वाला
प्रेम सुधा सरसाने वाला
वीरों को हर्षाने वाला
मातृभूमि का तन मन सारा - 2
झण्डा ऊँचा रहे हमारा ...


स्वतंत्रता के भीषण रण में
लखकर जोश बढ़े क्षण क्षण में
काँपे शत्रु देखकर मन में
मिट जावे भय संकट सारा
झंडा ऊँचा रहे हमारा


आओ प्यारे वीरों आओ
देश धर्म पर बलि-बलि जाओ
एक साथ सब मिल कर गाओ
प्यारा भारत देश हमारा
झण्डा ऊँचा रहे हमारा ...


शान न इसकी जाने पाये
चाहे जान भले ही जाये
सत्य की विजयी कर दिखलाएं
तब होए प्रण पूर्ण हमारा - 2
झण्डा ऊँचा रहे हमारा ...