जेंडर बराबरी के लिए मरते दम तक काम करने वाली एक शानदार इंसान!

ये हैं जज रुथ बेडर गिन्सबर्ग!


जेंडर बराबरी के लिए मरते दम तक काम करने वाली एक शानदार इंसान! कल 87 साल की उम्र में इनकी मृत्यु हुई! इनकी पूरी ज़िन्दगी स्कूली जीवन से लेकर आख़िरी साँस तक जेंडर इक्वलिटी के संघर्ष की बेहतरीन मिसाल रही है!


ग्रेजुएशन के बाद सिविल सर्विसेज एग्जाम में बहुत अच्छा स्कोर करने के बाद भी उन्हें मिलिट्री सर्विसेज में सिर्फ़ एक टाइपिस्ट की नौकरी दी गयी क्योंकि वो महिला थीं और जब इसी बीच वो प्रेगनंट हुईं तो ये जॉब भी छीन लिया गया उनसे!


उसके दो साल बाद जब वो हार्वर्ड लॉ स्कूल में पूरे 500 स्टूडेंट्स में से सिर्फ़ 9 लड़कियों में से वो एक थीं तो वहाँ के डीन ने उसने कहा कि 'क्यों लड़कों की सीट छीन रही हो?'!


वहाँ से डिग्री पूरी करने बाद उन्हें किसी लॉ फर्म में नौकरी नहीं मिली, क्योंकि उस समय लॉ फर्म के दरवाज़े महिलाओं के लिए बंद थे, बावजूद इसके कि वो टॉपर थीं! उसके बाद सुप्रीमकोर्ट में क्लर्कशिप करने के लिए बहुत ऊँचे दर्ज़े की सिफ़ारिश होने के बाद भी उनका इंटरव्यू तक नहीं लिया गया क्योंकि वो एक महिला थीं! पुरुष जजों को लगा कि गिन्सबर्ग एक माँ हैं इसलिए शायद वो अपने घरेलू ज़िम्मेदारियों की वजह से अपनी प्रैक्टिस से न्याय नहीं कर पायेंगी!


1963 में उन्होंने एल लॉ कॉलेज में पढ़ाना शुरू किया और उनकी जेंडर बराबरी की लड़ाई भी शुरू हुई! उन्होंने 1972 में Women's Rights Project की स्थापना की और बड़े ही सधे हुए प्लान के साथ जेंडर इक्वलिटी की लड़ाई शुरू की! वो बड़ी सावधानी से पुरुष वादी चुनतीं ये दिखाने के लिए कि जेंडर डिस्क्रिमिनेशन न सिर्फ़ महिलाओं के लिए ख़तरनाक है बल्कि पुरुषों का भी नुकसान करता है! अगले दो सालों में गिन्सबर्ग अपने संस्था की तरफ से क़रीब 300 से मामलों में एडवोकेट थीं!


1973 से 1976 के बीच उन्होंने US सुप्रीमकोर्ट में जेंडर डिस्क्रिमिनेशन के 6 बड़े मामले लड़े जिसमें उन्होंने 5 में जीत हासिल की! उनका मक़सद बहुत क्लियर था कि क़ानूनी बदलाव करो केस जीतकर ताकि एक साथ वो करोड़ों के ऊपर बाध्यकारी हो जाए! केस दर केस वो स्ट्रेटेजी बनाकर महिलाओं के ख़िलाफ़ सभी मौजूद भेदभाव क़ानूनी तौर पर ख़त्म करवा रही थीं!


उन्होंने सुप्रीमकोर्ट से "इक्वल प्रोटेक्शन ऑफ़ लॉ" को जेंडर न्यूट्रल बनवाया! उन्होंने "फेयर पे एक्ट" पास करवाया! मिलिट्री स्कूल जो सिर्फ़ पुरुषों के लिए आरक्षित हुआ करते थे उसे लड़कियों के लिए खुलवाया! एक बार उनके बच्चे की शिकायत स्कूल से आने लगी तो प्रिंसिपल सिर्फ़ उन्हें कॉल करते थे! उन्होंने साफ-साफ कहा कि इस बच्चे के माँ-बाप दोनों हैं इसलिए एक बार कॉल उन्हें तो दूसरी बार उसके पिता को भी आनी चाहिए! क्योंकि दोनों वर्किंग हैं और ये ज़िम्मेदारी भी बराबर शेयर करनी चाहिए!


गिन्सबर्ग अपने जीवन में लगभग हर जेंडर स्टीरियोटाइप को जान-बूझकर लगभग दूसरों को एहसास कराते हुए तोड़ती थीं- घर में और कोर्ट में भी! TIMES magazine ने उन्हें दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों में भी शुमार किया! "Notorious RBG" के नाम से वो फेमिनिस्ट आइकॉन बनी रहीं! उनके ऊपर एक फिल्म बनी है "On the Basis of Sex"! उनके दिए गए निर्णय और स्पीच से कोटेशन दुनियाभर में मशहूर हैं, टी-शर्ट, कप इत्यादि पर छाये हैं!


उनकी राइटिंग और स्पीच "My Own Words" में पढ़ा जा सकता है! उन्होंने डोनाल्ड ट्रम्प के ऊपर भी एक क्रिटिकल कमेंट किया जिसकी वजह से उन्हें माफ़ी मांगनी पड़ी थी! कोलन कैंसर से जूझते हुए भी आख़िरी सांस तक जेंडर बराबरी के लिए एडवोकेसी करती रहीं!


हार्दिक श्रद्धांजलि रुथ!


Tara Shanker