बलात्कार का देश
हाथरस में पुलिस ने बलात्कार पीड़ित का घर बैरिकेड कर दिया है,
उसकी लाश हाईजैक कर ली है,
उसकी माँ की चीखें अनसुनी कर,
एक हत्यारी रात को उसमें आग लगा दी है।
जिस देश मे दलित राज नहीं कर सकते,
वहाँ वे न आक्रोश व्यक्त कर सकते हैं न शोक।
यह पहले भी हुआ है, आगे भी होता रहेगा।
आग को क्या-क्या याद है? सतियों की चीखें
जो उनके पतियों की चिंताओं पर घसीट ले जाई गई थीं;
और चीखें उन विवाहताओं की
जो जला दी गईं;
जाति की सलीब पर शहीद कर दिए गए प्रेमियों की चीत्कार,
बलत्कृत स्त्रियों की काटी गई ज़ुबानों से निकली पुकार।
यह पहले भी हुआ है, आगे भी होता रहेगा।
मनु ने कभी कहा था, तो उसके चुगद चेले आज दोहराते हैं:
सभी स्त्रियाँ वैश्या हैं, सभी स्त्रियाँ नीच हैं;
स्त्रियाँ बस सेक्स चाहती हैं, वह बलात्कार की पात्र हैं।
मनु ने पुरुषों को लाइसेंस प्लेट दे रखी है, बलात्कार का शासनादेश।
यह पहले भी हुआ है, आगे भी होता रहेगा।
यह पहले भी हुआ है, आगे भी होता रहेगा।
सनातन, देश का एकमात्र कानून जो कायम है
सनातन, जहाँ कभी भी कुछ नहीं बदलेगा।
सदा से पीड़िता को दोषी और वैश्या बताने का शासनादेश
बलात्कारी को बचाने वाला राज्य, जाति को झुठलाने वाला चौथा खंबा।
यह पहले भी हुआ है, आगे भी होता रहेगा।
- मीना कंडासामी
अनुवाद: प्योली स्वातिजा
इलवेनिल मीना कंदासामी (जन्म 1984) एक भारतीय कवि , कथा लेखिका, अनुवादक और कार्यकर्ता हैं जो चेन्नई , तमिलनाडु , भारत से हैं। उनके अधिकांश कार्य नारीवाद और समकालीन भारतीय मिलिशिया के जाति-विरोधी अनीहीकरण आंदोलन पर केंद्रित हैं।
2013 तक, मीना ने कविता के दो संग्रह प्रकाशित किए हैं, स्पर्श (2006) और सुश्री मिलिटेंसी (2010) में। उनकी दो कविताओं ने अखिल भारतीय कविता प्रतियोगिताओं में प्रशंसा हासिल की है। 2001-2002 तक, उन्होंने दलित मीडिया नेटवर्क की द्वि-मासिक वैकल्पिक अंग्रेजी पत्रिका द दलित का संपादन किया।
वह यूनिवर्सिटी ऑफ आयोवा के इंटरनेशनल राइटिंग प्रोग्राम में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं और कैंट यूनिवर्सिटी , कैंटरबरी , यूनाइटेड किंगडम में चार्ल्स वालेस इंडिया ट्रस्ट फेलो थीं।
अपने साहित्यिक कार्यों के अलावा, वह एक से अधिक तरीकों से जाति, भ्रष्टाचार, हिंसा और महिलाओं के अधिकारों से संबंधित विभिन्न समकालीन राजनीतिक मुद्दों पर मुखर हैं। उनके फेसबुक और ट्विटर हैंडल के माध्यम से एक प्रभावशाली और नियमित सोशल मीडिया उपस्थिति है। वह कभी-कभी आउटलुक इंडिया और द हिंदू, जैसे प्लेटफार्मों के लिए कॉलम भी लिखती हैं।