बाबरी मस्जिद विध्वंस का जो फैसला आया है वह अप्रत्याशित नहीं हैं






तेल लगाओ डाबर का

नाम मिटा दो बाबर का

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बाबरी मस्जिद विध्वंस का जो फैसला आया है वह अप्रत्याशित नहीं हैं l बाबरी मस्ज़िद गिरने के बाद हिंदुओं में सिर्फ एक ही शेर था बाला साहेब ठाकरे जिन्होंने अपनी 56 इंच की छाती ठोंककर कहा था कि ' हां हमने बाबरी मस्जिद गिराई है l' इस स्वीकारोक्ति के बाबजूद बाल ठाकरे पर इसलिए केस दर्ज नहीं हुआ क्योंकि वे मौका - ए - वारदात पर मौजूद नहीं थे l केस उन पर चला जिनके आव्हान पर मस्जिद गिराने के लिए भीड़ इकट्ठी हुई थी l जिनके उकसावे के कारण भीड़ ने वो सब कर दिखाया जो उनके नेता चाहते थे l मस्ज़िद गिरते ही सब नेता जय जय कार करते हुए एक दूसरे से गले मिल रहे थे बधाई दे रहे थे l सब के चेहरे पर विजयी भाव था l उमा भारती तो भावातिरेक में मुरलीमनोहर जोशी के कंधे पर चढ़ गई थी l

कोर्ट मानता है कि यह सब वारदात पूर्व नियोजित नहीं थी सब कुछ अनायास हो गया जिसका कोई जिम्मेदार नही है जबकि यही नेता जोर जोर से नारे लगा रहे थे कि - तेल लगाओ डाबर का - नाम मिटा दो बाबर का l बाबरी मस्जिद जैसी पुरानी और मजबूत इमारत तोड़ने के लिए ओजार शायद आसमान से टपके होंगे l खैर ..... इस अकस्मात होने वाली घटना की तिथि 6 दिसम्बर को संघी और भाजपाई शौर्य दिवस के रूप में मनाते है l अरे महापुरुषों जब तुमने कुछ किया ही नही तो फिर काहे का शौर्य और काहे का पराक्रम ? उस समय वहां उपस्थित नेता बाबरी मस्जिद गिराने की जिम्मेदारी लेते तो उसे निश्चय ही शौर्य माना जा सकता था l लेकिन आप इतने बुज़दिल निकले कि 28 साल कोर्ट की भूलभुलैया में घूमते हुए अब बाहर निकले l



शौर्य देखना हो तो भगतसिंह का देखो जो असेम्बली में बम फेंककर भी वहां से भागा नहीं जबकि बम धमाके के धुंए में वह आसानी से भाग सकता था l भगतसिंह वहीं खड़े होकर अपने साथियों के साथ इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाते रहे l भगतसिंह ने एक बार भी नहीं कहा कि उन्होंने बम नहीं फेके बल्कि उन्होंने कहा कि बहरे हुक्मरानों को सुनाने के लिए हमने बम फोड़ा l गांधी ने एक बार नहीं कई बार कानून तोड़ा और स्वीकार किया l कानून तोड़ने की सज़ा के लिए अपने आप को प्रस्तुत किया l अपने पवित्र उद्देश्य के लिए अपने प्राण की आहुति देने की विरासत रही है भारत की l भारत का इतिहास संघियों की तरह कायर बुज़दिल और धोखेबाज नहीं रहा l

अगर मुक्त हुए आरोपियों में से कोई एक भी बाबरी मस्जिद गिराने की जिम्मेदारी ले लेता तो गैर कानूनी होते हुए भी में इसे शौर्य मानता और उसे शेर मानता l