वन मंत्री जी सुनिए i छिंदवाड़ा कुछ कहता है -भ्र्ष्टाचार से सड़ांध मारती लघुवनोपज शाखा

पूर्व वनमंडल छिंदवाड़ा मे पदस्थ लिपिक संजय भावरकर की आर्थिक अनियमितता की जांच की मांग 


पूर्व वन  मंडल  छिंदवाड़ा में पदस्थ लिपिक संजय भावरकर पर मेहरवान हुए वरिष्ठ अधिकारिओ ने विभाग की तेंदूपत्ता शाखा के माध्यम से भ्र्ष्टाचार को पोषित करने का वह काम किया है जो किसी भी जिले में नहीं हुआ होगा लिपिक पर  करोडो रुपयों की संपत्ति अर्जित करने का संगीन आरोप राष्ट्रवादी कांग्रेस ने लगाते हुए इस प्रकरण की शिकायत लोकायुक्त ई ओ डव्लू सहित अन्य एजेंसियों को की गयी है इस प्रमाणित शिकायत की कलेक्टर छिंदवाड़ा के हस्तक्षेप से प्रारम्भ की गयी जांच के लिए गठित जांच दल पर ही निष्पक्ष जांच नहीं किये जाने एवं मामले को लंबित करने के साथ ही भ्र्ष्टाचार को संरक्षण देने का आरोप लग गया है ऐसे में के यह संभव है की इस प्रकरण में निष्पक्ष जांच हो पायेगी ?


छिंदवाड़ा -पूर्व वन मंडल छिंदवाड़ा में वर्षो से नियम विरूद्ध तरीके से पदस्थ लिपिक संजय भावरकर के विरूद्ध आर्थिक नियमितता की जांच करने  शिकायत राष्ट्रवादी कांग्रेस अध्यक्ष सुनील चौरसिया ने की है सुनील चौरसिया ने बताया की उक्त लिपिक विभाग में अनुकम्पा नियुक्ति के आधार पर दक्षिण वन मंडल छिंदवाड़ा में पदस्थ हुआ था और अल्प समय में ही उस पर दक्षिण वनमंडल छिंदवाड़ा में प्रमाणित आर्थिक अनियमितताएं पाए जाने पर क्षेत्रीय कार्यालय पूर्व वन मंडल में स्थानांतरित  किया गया था तभी से यह लिपिक वन  विभाग के पूर्व वनमंडल में तेंदूपत्ता सेक्शन का कार्य नियमविरुद्ध तरीके से संचालित कर रहा है शिकायत कर्त्ता ने इस लिपिक की करोडो रुपयों की संपत्ति की जांच करने की मांग की है यहां यह  उल्लेखनीय है की इस लिपिक को तत्कालीन वनमंडलाधिकारी ने शिकायतों के चलते सेक्शन से हटा दिया था परन्तु जैसे ही वनमंडलाधिकारी अशोक कुमार स्थानांतरित हुए इस लिपिक ने पुनः हिकमत लगाकर इस डिवीजन में फिर से कब्ज़ा कर लिया यह सर्व विदित है की इस लिपिक का स्वर्णकाल कहे जाने वाला समय तत्कालीन वनमंडलाधिकारी  के समय का रहा है इस दौरान इसने  सबसे ज्यादा लाभ अर्जित करने का काम किया क्योंकि इसे तत्कालीन वनमंडलाधिकारी  का पूर्ण संरक्षण प्राप्त था वर्तमान में इस लिपिक के सम्बन्ध में की गयी शिकायत वन विभाग में लंबित है शिकायत कर्ता ने जानकारी देते हुए यह बताया की जब वह इस लिपिक की प्रमाणित शिकायत लेकर जब पूर्व वनमंडल के वर्तमान वनमंडलाधिकारी श्री बंसल के पास गए थे तब वनमंडलाधिकारी श्री बंसल ने यह कहते हुए शिकायत लेने से इंकार कर दिया था की वह  शिकायत नहीं ले सकते क्योंकि जिस लिपिक की यह शिकायत है वह मेरा सबसे विश्वसनीय व्यक्ति है शिकायतकर्ता इस घटना से सन्न रह गया उसने शिकायत पर एक वरिष्ठ अधिकारी के आचरण पर सवालिया निशान लगाते हुए यह कहा की जब विभाग में प्रमाणित भ्र्स्टाचार को पोषित करने वाले अधिकारी होंगे तब शिकायत पर जांच कौन करेगा ?शिकायतकर्ता ने इस लिपिक की शिकायत इ ओ डव्लू  एवं लोकायुक्त को भी की है साथ ही कलेक्टर छिंदवाड़ा को उसके साथ घटित घटना के सन्दर्भ में विस्तृत जानकारी भी दी है कलेक्टर छिंदवाड़ा द्वारा सम्बंधित शिकायत पर संज्ञान  लिया जाकर वनविभाग को भेजी गयी है जिस पर बिभाग ने इस प्रकरण में जांच दल गठित किया है पर विभाग द्वारा गठित किये गए जांच दल पर शिकायत कर्ता का यह कहनाहै की इस  3 सदस्यीय जांच दल में SDO  भरत सोलंकी .,वनपरिक्षेत्र अधिकारी सुरेंद्र सिंह राजपूत एवं वरिष्ठ लेखपाल  शामिल किये गए है शिकायत कर्त्ता का यह कहना है की उसे  मात्र एक अनुबिभागीय अधिकारी पर उसका भरोसा है बाकि २ सदस्यों,वनपरिक्षेत्र अधिकारी सुरेंद्र सिंह राजपूत एवं वरिष्ठ लेखपाल को इस जांच दल से हटाने पर ही निष्पक्ष जांच हो सकती है शिकायतकर्ता का यह आरोप है की यह लिपिक उच्च अधिकारिओ की मदद से विभाग में सीमेंट के पोल अपनी फैक्टरी से सप्लाई करता है इसका 3 जिलों छिंदवाड़ा सिवनी एवं बैतूल जिलों में यह काम बहुत आसानी से चल रहा है कयोंकि जब विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ही इसे संरक्षण देकर नियम विरुद्ध तरीके से   सप्लाई आर्डर दे रहे है तो इसका काम बहुत आसान हो जाता है वर्षो से एक ही डिवीजन में नियमविरुद्ध तरीके से अपने मूल पदस्थापना वाले पद  के विरूद्ध कार्य संचालित किये जाने पर विभाग के अन्य कर्मचारी आखिर खामोश क्यों है यह विचारणीय प्रश्न है ?जबकि नियमानुसार इस पद पर इस व्यक्ति की पदस्थापना किसी भी कीमत पर नहीं हो सकती पर नियम कानून को टाक पर रख कर यह के वर्षो से लाभ अर्जित कर रहा है ,क्योंकि लघुवनोपज संघ भोपाल से इस विभाग मे पूर्व से ही एक उच्च अधिकारी श्री गेहलोत की पदस्थापना है क्योंकि इस पर यह भी आरोप है की इसने शासकीय वन विभाग कार्यालय परिसर में 10 लाख की लागत से निर्मित महुआ गोदाम पर हेल्थ क्लब बना कर कब्ज़ा कर लिया है यह शासकीय सम्पति का खुलेआम दुरूपयोग किया जा रहा है साथ ही तेंदूपत्ता शाखा में नियम विरूद्ध 7 लोगो की नियम विरुद्ध तरीके से नियुक्ति कराई गयी है जिसमे इसकी सगी बहन को भी कम्प्यूटर आपरेटर के पद पर पदस्थ करवाया गया है राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा स्वीकृत राशि से किये गए वनपरिक्षेत्र चौरई के सीताजहिर एवं करलई में 50-50 हेक्टेयर में शीशल रोपण में भी भरी भ्र्स्टाचार किया गया है जिसमे उक्त स्थलों पर शीशल का पौधा एक भी नजर नहीं आएगा इसी तरह हर्रई एवं अमरवाड़ा में 50-50 हेक्टेयर में भी शीशल रोपण में भ्र्स्टाचार किया गया है  राज्य लघुवनोपज संघ की स्वीकृत 2 करोड़ 90 लाख से पातालकोट ओषधि प्रसंस्करण केंद्र के नाम पर व्यापक तौर पर फर्जी कागजी खानापूर्ति करके संजय भावरकर द्वारा गलत और भ्रामक जानकारिया भी देने का आरोप है जबकि जमीनी स्तर पर यह ओषधि प्रसंस्करण केंद्र भारतदेव में पूर्व से ही संचालित बताया जाकर मरणासन्न हो चुका है ....