बैंक बिकेंगे? शायद नही बिकेंगे.. फाइनेंसियल मार्केट में बेचने और खरीदने के इतने तरीके है कि बिना खरीदे भी आप मालिक बन सकते है.. बहुत संक्षेप में बिना टेक्निकल बातों के बैंक बेचने का तरीका समझिए...
1. Bad Bank/NPA बैंक/एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी या ARC
मोदी सत्ता में आने के बाद से ही NPA बैंक की बातें कर रहा है.. क्या है NPA बैंक?
- सारे NPA एक जगह ट्रांसफर किए जाएंगे..
- इस बैंक में केवल NPA रहेंगे, बैंकिंग नही..
- ये बैंक NPA सेटल करने का काम करेगा..
- NPA खरीदना बेचना ही इसका काम होगा..
- कई प्राइवेट NPA बैंक है जो ये काम करते है..
2. डिपॉजिट बैंक : बैंको का नया नाम...
किसी भी सरकारी बैंक को डिपॉजिट और जनरल बैंकिंग के अलावा किसी भी काम की इजाजत नही होगी.. बैंक जनता से केवल डिपॉजिट लेंगे और ट्रेज़री के माध्यम से निवेश करेंगे..
3. नेशनल क्रेडिट एजेंसी (NCA)
- बैंको को लोन देने का हक नही रहेगा
- NCA एक ऑटोनॉमस संस्था होगी
- ये एक डायरेक्ट सेलिंग एजेंट (DSA) होगी..
- NCA के DSA प्राइवेट कंपनी बनेगी..
- इनका काम होगा लोन एप्लीकेशन देखना..
- यानी किसे लोन देना है ये DSA तय करेंगे..
- बैंकिंग में DSA सबसे ताकतवर होंगे..
- सारे उद्योगपतिओ और संघी दलालों को भर दिया जाएगा..
★ अब बिंदुओं को जोड़िए..
- बैंको का NPA निकल गया यानी गुड बैंक..
- NPA को IBC/NCLT से निपटा देंगे..
- 100₹ का लोन 20₹ पर खत्म होगा..
- यानी सारे चोर साहूकार बन जाएंगे..
- यही चोर बैंको के DSA बन जाएंगे..
- बैंको का लाखो करोड़ का लोन इनके कंट्रोल में..
बैंको का NPA खत्म, बैंक खत्म और पैसा उद्योगपतिओ के हाथ मे और वो भी फोकट में.. बैंक बेचने की क्या जरूरत है? अरबो का प्रचार होगा और मूर्ख जनता वापस जयकारा लगाएगी...
Bad Bank या NPA बैंक केवल एक दिखावा है.. असली काम NCLT/IBC का है और ये सरकारी तरीके से चोरी का राष्ट्रीयकरण है...
◆ NCLT का सिद्धांत क्या है? अगर एक कंपनी पर 100₹ का लोन है और वो कंपनी लोन चुकाने में असक्षम है तो कितने लोन पर वो कंपनी वापस चल सकती है..
◆ मान लीजिए, 40₹ लोन पर वो कंपनी वापस चल सकती है तो 60₹ का लोन बैंक माफ कर देंगे और 40₹ अगले 25 -30 सालो तक का नया लोन मान लिया जाएगा..
◆ इस बात का मतलब क्या है?
- बैंक 60₹ का घाटा सहेंगे..
- पर 40₹ भी नही है उस कंपनी में..
- तो बैंक 40₹ का लोन भी दे देंगे..
- पुराना लोन माफ और नया लोन तैयार..
◆ पर इसमे में कई ट्विस्ट है..
● क्या पुराना मालिक ही चलाएगा?
● पर पुराना मालिक तो बरसो से डिफाल्टर है..
● कई केस में तो पैसे निकाल लिए गए..
● तो पुराना मालिक क्यो चलाएगा?
● यानी पैसा लूटो और मौज करो...
◆ ट्विस्ट ही ट्विस्ट है...
- मान लीजिए, 1000 करोड़ का लोन 8% से 5 साल का डिफ़ॉल्ट है और NCLT में भी 6 महीने से केस पेंडिंग है तो रोज का ब्याज कितना हुआ?
- NCLT में 60%-80% तक लोन माफ होता है..
- लोन माफ होने तक बकाया लोन का ब्याज भी माफ होता है..
- बैंक भी खुश, उद्योगपति भी खुश..
● कुछ केस में बैंको ने इन कंपनियों को खरीदने के लिए उद्योगपति/बाबाओं को हजारो करोड़ का लोन दे दिया..
● आजतक NCLT की यही कहानी है.. करोड़ो का लोन और ब्याज माफ कर दिया, बैंक कहने लगे हमारा NPA घट गया आपको पता भी नही चला..
किसान आत्महत्या कर रहे है.. मोदी किसान लोन को NCLT में डाल कर 80% माफ कर दे !! कोई भी अर्थशास्त्री इस सवाल को नही उठाता.. गोदिमीडिया को छोड़िए, इकॉनॉमिस्ट भी बिक गए है..
aloka kujur