कोरोना से डर गये यमराज


कोरोना काल में मृत्यु संख्या हुई कम


कोरोना से मनुष्य कम यमराज जादा डरे हुये है। विश्व स्वास्थ्य संगठन भले ही कह रहा हो कि साल के अंत तक भारत में कोरोना के कारण बडी संख्या में मौतें होगी लेकिन यमराज की चिंता दूसरी है। कोरोना जिस गति से फैल रहा है उसके बावजूद उससे हो रही मौते इतनी ज्यादा नही है कि कुल मृत्यु का सालाना टारगेट भी पूरा किया जा सके।


बल्कि मृत्यु के अन्य बहुतसे कारण लॉकडाउन होनेसे मृत्यु संख्या में कमी आई है। भारत में इस साल जितने मृत्यु का अनुमान किया गया था या पिछले साल जितने मृत्यु हुये थे उसकी तुलना में कोरोना संक्रमण काल में मृत्यु में बडी कमी आई है।


लेकिन सच्चाई क्या है? क्या सचमुच कुल मृत्यु संख्या कम होने का दावा सही है? अगर यह सही है तो लोगों के मनसे कोरोना का डर निकालने के लिये इस अध्ययन की मदद मिलेगी। यहां हम कोरोना का मृत्यु संख्या पर क्या असर पडा है इसकी जांच पडताल करने का प्रयास करते है।


यहां सरकार से प्राप्त आंकडो के आधार पर अमरावती शहर, अमरावती जिला, महाराष्ट्र राज्य और भारत में पिछले साल अप्रैल से जून माह तक हुये मृत्यु का इस साल उसी काल में हुये मृत्यु से तुलनात्मक अध्ययन किया गया है। अध्ययन के पहले ध्यान रखे कि कुल जनसंख्या और कुल मृत्यु संख्या के आंकडों में वर्ल्डोमीटर और सरकारी आंकडो में थोडा अंतर दिखाई देता है और दूसरा भारत में हर साल जितने मृत्यु होते है उसमें से लगभग 70 प्रतिशत मृत्यु ही पंजीकृत होते है।


अमरावती शहर की 2020 की अनुमानित जनसंख्या 7.52 लाख है। अमरावती में अप्रैल, मई, जून 2019 में 1938 मृत्यु पंजीकृत हुये और 2020 में 1546 मृत्यु पंजीकृत हुये। अर्थात कोरोना काल के इन तीन महिनों में 2019 की तुलना में 2020 में 392 मृत्यु कम हुये है।


अमरावती शहर के स्मशान घाट में दाहविधि करनेवाले कर्मियों का कहना है कि पिछले साल की तुलना में कोरोना काल में कम मृतदेह जलाये जा रहे है। उनका यह कथन शहर में मृत्यु की संख्या कम होने की पुष्टि करता है।


अमरावती जिले की 2020 की अनुमानित जनसंख्या 32.92 लाख है। पूरे जिले में अप्रैल, मई, जून 2019 में 4944 पंजीकृत हुये और 2020 में 4117 मृत्यु पंजीकृत हुये। अर्थात अमरावती जिले में कोरोना काल के इन तीन महिनों में 2019 की तुलना में 2020 में 827 मृत्यु कम हुये है। जहां अमरावती जिले में 30 जून तक कोरोना संक्रमितों की संख्या 569 थी और मृत्यु संख्या 23 थी।


महाराष्ट्र की 2020 की अनुमानित जनसंख्या 12.62 करोड है। उपलब्ध आंकडों के अनुसार महाराष्ट्र में वर्ष 2018 में कुल 678706 मृत्यु हुये है। दो माह अप्रैल और मई में 105743 मृत्यु पंजीकृत हुये थे। वही 2020 के इसी काल में केवल 70424 पंजीकृत हुये है। अर्थात कोरोना काल के दो माह में 2018 की तुलना में 2020 में 35319 की कमी आयी है। जबकि महाराष्ट्र में 31 मई तक कोविड19 से 2286 मृत्यु हुये थे। 30 जून तक कोरोना संक्रमितों की संख्या 174761 थी और कोविड19 से 7855 मृत्यु हुये थे।


वर्ल्डोमीटर के अनुसार 2020 की भारत की जनसंख्या 138 करोड है और पिछले साल कुल 97 लाख मृत्यु हुये। 2020 की सामान्य मृत्यु दर 7.3/1000 आंकी गई है, उसके अनुसार 2020 में कुल 1 करोड मृत्यु होने का अनुमान किया गया है। मतलब प्रतिमाह औसतन 821190 मृत्यु और प्रतिदिन औसतन 27397 मृत्यु होते है। सरकारी रिपोर्ट के अनुसार 2018 में पंजीकृत मृत्यु संख्या 69.50 लाख थी।


भारत में पहला कोरोना संक्रमण 30 जनवरी को और पहला कोरोना मृत्यु 12 मार्च हुआ था। तबसे 30 जून तक वर्ल्डोमीटर के अनुसार भारत में कोरोना संक्रमितों की संख्या 5.85 लाख थी और मृत्यु संख्या 17410 थी। यह मृत्यु संख्या भारत में इसी काल में हुई औसतन माहवार मृत्यु की तुलना में बहुत कम है।


भारत में कोरोना संक्रमण लगातार बढ रहा है। अब हर आये दिन एक दिन में सबसे जादा संक्रमण और मृत्यु के आंकडे दिखाई देंगे। संक्रमण और मृत्यु दर के अनुसार गणना करने पर दो महीने बाद कोरोना संक्रमण में भारत दुनिया में नंबर एक पर और तीन महीने बाद कोरोना मृत्यु संख्या में भारत दुनियां में नंबर एक पर पहुंच सकता है।


यह अनुमान किया जा रहा है कि इस साल दिसंबर तक भारत में लगभग 5 करोड लोग संक्रमित हो सकते है और 9 लाख लोगों की मृत्यु हो सकती है। यह बहुत बडी संख्या है। लेकिन इसके बावजूद कुल मृत्यु संख्या पिछले साल की तुलना में बहुत कम रहेगी।


भारत में करोना संक्रमण का डबलिंग रेट शुरु में 3.4 दिन था। अब वह 21 दिनों पर पहुंचा है और यही ट्रेंड जारी रहा तो एक समय के बाद कोरोना संक्रमण की गति कम होकर स्थिर होनेकी संभावना है। वैज्ञानिक कहते है कि कोविड19 की वैक्सिन आनेके बावजूद कोरोना से मृत्यु होते रहेंगे जैसे टीबी को पूर्णता ठीक करने के लिये इलाज होने के बावजूद भी हरसाल लाखों लोगों की टीबी से मृत्यु होती है।


भारत में मृत्यु के प्रमुख दस कारणों में दिल की बीमारी, क्रोनिक ऑब्स्ट्रक्टीव पल्मनरी डिसिज, डायरिया, स्ट्रोक, लोअर रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन, टीबी, नवजात शिशु के मृत्यु, आत्महत्याऐं, सडक दुर्घटनाऐं आदि का समावेश है। वायरल संक्रमण के कारण प्रतिवर्ष कोरोना से कई ज्यादा मृत्यु होते है। भारत में हरसाल लगभग 1.5 लाख लोग आत्महत्या करते है। सडक दुर्घटानाओं में हरसाल 2 लाख से ज्यादा मृत्यु होते है। टीबी से हरसाल 4.5 से 5 लाख लोगों की मृत्यु होती है।


भारत सरकार के पास अपडेट आंकडे नही है। इसलिये जरुरी जानकारी प्राप्त नही हुई। लेकिन महाराष्ट्र के आंकडों के आधारपर भारत में कुल मृत्यु का अनुमान किया जा सकता है। महाराष्ट्र की जनसंख्या भारत के 17-18 प्रतिशत के आसपास है। महाराष्ट्र में कोरोना से सबसे ज्यादा मृत्यु होने के बावजूद कुल मृत्यु में काफी कमी आई है। इस अध्ययन से यह सिद्ध होता है कि भारत में कोविड19 की वजह से अनुमानित मृत्यु की तुलना में इस साल के कुल मृत्यु में बडी कमी आयेगी।


मृत्यु संख्या कम होने का दावा सही है। हर साल की तुलना में कोरोना काल में मृत्यु बहुत कम हुये है। अब मनुष्य अपनी रोग प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत करने में लगे है। तबीयत का जादा ध्यान रख रहे है। इसलिये सभी बीमारियां कम हुई है। घरों से अनावश्यक बाहर निकलना बंद है। कारखानें बंद होने के कारण औद्योगिक दुर्घटनाऐं कम हो रही है। सडक दुर्घटनाऐं कम हुई है। प्रदूषण भी कम हो रहा है। मृत्यु के बहुत सारे कारण लॉकडाउन होनेसे मृत्यु संख्या कमी आयी है।


यमराज ने बताया कि कली के कारण उसे मदद मिली है। अन्यथा भारत में उचित समय पर और पूर्व सूचना देकर लॉकडाऊन लगाया जाता और घर लौटते श्रमिकों को सही समय पर घर पहुंचाया होता और लोगों के जेब में पैसा डाला होता तो वह अपने टारगेट से और दूर रह जाते।


अब सालाना टारगेट पूरा कराने के लिये दुनियां में सभी राजाओं में कली प्रवेश करा दिया गया है। इसलिये सभी देश एक दूसरों को युद्ध की चुनौती दे रहे है। कारपोरेट मीडिया के एंकर और कोरोना के डर से घर में बैठे लोग रोज पडोसी देशों को युद्ध की चुनौती दे रहे है। अगर कली ने इस बार भी ठीक से काम किया तो तीसरा महायुद्ध यमराज की चिंता खत्म करने में मदद कर सकता है।


टिप : यह केवल एक लेख नही है बल्कि जनमानस से कोरोना का डर निकालने और भविष्य की रणनीति निर्धारण के लिये उपयुक्त शोधकार्य है। आप इसे फेसबुक, वाट्सएप या अन्य सोशियल माध्यमोंद्वारा लोगों तक पहुंचा सकते है।


विवेकानंद माथने