मै तो शुरू दिन से ही कह रहा था कि भाजपा ने मेरी बहुमत व जनादेश प्राप्त सरकार को जानबूझकर साज़िश-षड्यंत्र व प्रलोभन का खेल रच गिराया है क्योंकि मेरी सरकार किसानो का क़र्ज़ माफ़ कर रही थी, युवाओं को रोज़गार दे रही थी , महिलाओं को सुरक्षा देकर उनके सम्मान की रक्षा कर रही थी , मिलावट व माफ़ियाओ के ख़िलाफ़ अभियान चला रही थी , प्रदेश में निवेश ला रही थी , निरंतर जनहितैषी कार्य कर रही थी , भाजपा को यह सब सहन नहीं हुआ।
उसे डर व भय था कि इन सब कार्यों से उसका वर्षों तक सत्ता में वापस लौटना नामुमकिन हो जायेगा।
अब तो इस बात की पुष्टि भी हो गयी और सच्चाई भी प्रदेश की जनता के सामने आ गयी कि मेरी सरकार को गिराने के लिये किस तरह की साज़िश व खेल रचा गया और उसमें कौन- कौन शामिल था।
जो लोग कहते थे कि कांग्रेस की सरकार के पास बहुमत नहीं था , वो अपने असंतोष से गिरी , हमने नहीं गिरायी , उनके झूठ की पोल भी अब सभी के सामने आ चुकी है।
शिवराज ने 15 वर्ष झूठ के बल पर सरकार चलायी , जनता ने सबक़ भी सिखाया लेकिन अभी भी निरंतर झूठ परोस रहे है।कमलनाथ के फेसबुक बुक पेज पर यह पोस्ट आज डाली गयी है
कमलनाथका यह कहना की मेरी सरकार को गिराने के लिये किस तरह की साज़िश व खेल रचा गया और उसमें कौन- कौन शामिल था।अब इस बात के मायने इसलिए भी नहीं है की प्रदेश की जनता को सब कुछ मालूम है 15 माह के कार्यकाल मे सत्ता के करीब कौन लोग थे तथा किस तरह से सरकार चल रही थी मंत्रियो के क्या हालात थे यह किसी से भी छिप नहीं सकता आज के दायर मे किसी ग्रामपंचायत के एक पांच को यदि त्यागपत्र देने को कहा जावे तो वह नहीं देगा कमलनाथ की सरकार मे ६-६ केबिनेट स्तर के मंत्री यदि इस्तीफा दे रहे है तो यह कोई बड़ा कारण है जिसको झुटलाया नहीं जा सकता जब सत्ता से टकराव बढ़ा तो निश्चित रूप से इसके लिए कमलनाथ के वह करीबी लोग थे जो सत्ता की मलाई खा रहे थे मंत्री असहाय थे कार्यकर्त्ता निराश था क्योंकि उसके कार्य अधिकारी नहीं कर रहे थे यह कांग्रेस संगठन के निचले स्तर के कार्यकर्त्ता जगह जगह बोल रहे थे वर्तमान हालात देखते हुए लगता तो नहीं है की कांग्रेस फिर से वापसी करेगी जिस तरह से कांग्रेसमें फिर से उठापटक का दौर चालू हुआ है और पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ द्वारा जो कार्यशैली 15 माह पूर्व उनके द्वारा अपनाई गई थी वही अपनाई जा रही है यहां तक कि उनके गृह जिले छिंदवाड़ा में जिले के पूरे पत्रकारों से उनका संवाद अभी दोनों दौरो में नहीं हुआ मात्र उनके कुछ पत्रकारों के साथ किए गए संवाद से परिवर्तन संभव नहीं है पूरे प्रदेश के अधिकांश पत्रकार कांग्रेस और कमलनाथ सरकार की कार्यप्रणाली से खासे नाराज थे और पत्रकारों को राहत देने का कोई काम इनके द्वारा नहीं किया गया यहां तक कि लघु समाचार पत्रों को कोई तवज्जो नहीं दी गई भारत के इतिहास में मध्यप्रदेश पहला राज्य था जब कमलनाथ के कार्यकाल में है 26 जनवरी 2020 को गणतंत्र दिवस के अवसर पर किसी भी समाचार पत्र को शासकीय विज्ञापन नहीं दिए गए जबकि स्वयं की पब्लिसिटी पर करोड़ों रुपए के विज्ञापनों पर खर्च किया गया जिन रिक्त सीटों पर उपचुनाव होना है और जिस तरह से कांग्रेसियों में गुटबाजी हो रही है आसार ठीक नहीं दिख रहे हैं कि कमलनाथ फिर सत्ता में आएंगे जबकि यह बहुत अच्छा मौका था परंतु उनके सलाहकार और उनकी मीडिया टीम अहंकार को लेकर मुगालते में हैं की कमलनाथ फिर सत्ता में लौटेंगे? पूर्व मुख्य पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की कार्यशैली से तो यह बिल्कुल भी नहीं लगता