लोहिया : एक आख्यान-28

लोहिया : एक आख्यान
(Distinguished People talking about Lohia)
राजनारायण जी लिखते हैं-28- लोहिया जी एक दिन करीब ग्यारह बजे आ गए। 'निकलो और बाहर घूमों।' दो घंटे तक घूमे। 'तुम्हारे मुल्क में जात-पात की दीवार जब तक रहेगी समाजवाद क्या जनतंत्र का बचना भी मुश्किल है। तुम्हारे दल में भी चितपावन ब्राह्मणों का गट है। आपस में लड़ते हैं। मगर अंत में दूसरे के मुकाबिल एक हो जाते हैं। वशिष्ट परंपरा को कैसे काटोगे। पिछडो को जब तक ठोस ढंग से विशेष अवसर देकर नहीं बढ़ाओगे तब तक सब विकास की बातें व्यर्थ हैं। नेहरू के बाद उनकी बेटी इंदिरा आ गई। अगर देश में गिरावट का क्रम यही जारी रहा तो इंदिरा का कोई बेटा भी इंदिरा के बाद आ सकता है। राजनीति में वंशवाद नेहरू ने चला दिया है। इसे रोकना है। लोकशाही बिना लोकभाषा कैसे चलेगी? 'अंग्रेजी हटाओ' आंदोलन को तेज करना है। अंग्रेजी के रहते पिछड़ो के हाथ में सच्ची ताकत नहीं जा सकती। यह पेट भी मारता है। दिमाग भी मारता है। चरण सिंह क्या करेगा? क्या आने वचन को चबा जाएगा? दो रूपया तक लगान देने वाले किसानों का सम्पूर्ण लगान माफ नहीं करेगा? चाहे जो हो, यदि चरण सिंह वचन तोड़ते हैं तो अपने लोगों को सरकार से हटाना होगा। तुम्हारे यहां भी तो लोग अजीब हैं। एकबार कुर्सी पकड़ लेते हैं तो छोड़ते नहीं। देखो, बिहार में गोलीकांड की न्यायिक जांच तिवारी ने नहीं कराई । विन्देश्वरी मंडल हमारी बात मान गए होते तो वह चमक जाते। देखो, आज हमारे लोगों में हिम्मत की कमी है। हिम्मत के साथ आदमी को धीरज लेकर आगे बढ़ना चाहिए। पथ ठीक है तो पथिक को राह के संकट से घबराकर पथ नहीं छोड़ना चाहिए। अकेले भी रहो तो भी चलो । देखो ! अपने लोगों को समझाओ । यह सरकार न तो गरीबी हटा सकती है, न बेकरी दूर कर सकती हैं। इसकी योजना मुट्ठी भर लोगों के लिए है। इसने खपत की आधुनिकता बढ़ाई है, उपज की नहीं। चंद लोगों को योरोपियकरण हुआ है, जैसे वाईस चांसलर, सचिव, कलक्टर इत्यादि , मगर खेत मजूर, सामान्य कामगार, चतुर्थ श्रेणी व तृतीय श्रेणी के सरकारी कर्मचारी, इन सबके लिए सरकार के पास योजना नहीं हैं। इसने नीचे के तल्ले उठाने की जगह ऊपर का तल्ला उठाया है। यही कारण है कि धनी और गरीब की खाई चौड़ी हो गयी है। तुम्हारा ही एक मुल्क है जिसकी सीमा घटी है। 15 अगस्त 1947 के बाद से तुम्हारा मुल्क सिकुड़ा है। सरकार की अपनी कोई विदेश नीति नहीं है। वह पारी-पारी से अमरीका-रूस की ओर देखती, भूकती और उनके दबाव में काम करती है। इस समय कोई ऐसा दल हो जो सभी असंतोषों को बटोरे और सभी हरिजनों, पिछड़ों, गरीब मुसलमानों और गरीब ठाकुर, ब्राह्मण-बनियों को एक खेमे में लाकर मौजूदा सरकार को धराशायी करे।
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