आदमी में ज़हर-

होम्योपैथी में एक दवा है,जो ऐसे ख़तरनाक साँप के विष से बनी है,जिसकी फुंफकार से आदमी लंबी बेहोशी में आ जाता है ! इसके आविष्कार की कहानी भी ग़ज़ब है !


हैन्यीमान के पहले तक तक सारे ऐलोपैथी के डॉक्टर ही थे,जो लगभग सारे ही हैनीम्यान के विरोध में थे,उनमें एक हैरिंग्स भी थे ! हैरिंग्स एक बार यक्ष्मा की चपेट में आ गए,और उनके ऐलेपैथ मित्रों ने जवाब दे दिया,हैनिम्यान को जब ख़बर लगी तो उन्होंने हैरिंग्स को प्रस्ताव दिया- तुम तो जीवित लाश भर हो,अगर तुम चाहो,तो मैं तुम्हें निरोग करने की कोशिश करूँ,और हैरिंग्स राज़ी हो गए !
तब तक हैनिम्यान ने सिर्फ आठ होम्योपैथिक दवाओं का आविष्कार ही किया था,और जनाब,प्रतिभा और प्रयोग का कमाल देखें कि उन्होंने ठीक कर दिया,इस घटना से हैरिंग्स ने प्रायश्चित स्वरूप हौम्योपैथिक बनने की ठान ली,और तय किया कि वे जितने ख़तरनाक ज़हर हैं,उनकी दवा बनाएँगे,क्योंकि मनुष्य में भी बहुत ज़हर है !



वे अपनी डॉक्टर पत्नी के साथ,दक्षिण अफ़्रीका गए,और शुरुकूकू नामके भयंकर साँप के बारे में सुना,जिसे कोई भी ला कर देने तैय्यार नहीं हुआ ; अंतत: पैसों के लालच में,इस शर्त पर राज़ी हुए कि वे उस बाँस के बक्से को तभी खोलेंगे,जब वे लोग काफी दूर जा चुके होंगे,जब घर में काम करने वाले लोगों को पता चला,तो वे भी सारे भाग गए !
हैरिंग्स ने पत्नी से कहा- देखो क्या होगा,यह तो नहीं कहा जा सकता,लेकिन मैं यह बक्सा,खोल कर,साँप के निकलते ही उसके फ़न पर मुक्का मरूँगा,जिससे वह मर तो जाएगा,लेकिन वह फुंफकारेगा भी,तो अगर मैं बेहोश हो गया,तो उस दौरान मेरी हरकतों,बातों को तुम लिखती जाना !
और वही हुआ- हैरिंग्स चौबीस घंटे बेहोश रहे,जो इस दवा की पहली प्रूविंग मानी जाती है,फिर लंबी कहानी है !


बाद में महान केंट ने लिखा कि यह एक ऐसी दवा है जो,मानव मात्र के कभी भी,किसी भी समय काम आती है,मनुष्य का स्वभाव साँप से मिलता है !
कुछ लक्षण—-
अहंकारी,स्व-केंद्रित,बुद्धिमान,वाचाल,कोई भी प्रवाह-मानसिक,या शारीरिक ,अगर रुक जाए,या रोकना पड़े तो अवरुद्ध महसूस करता है,शेर,कविता उसके होंठों पर लगी ही रहती है,कविता सुनते समय,बोलते समय,रुलाई आने लगती है,चतुर,ख़ुशामद पसंद करता है,ख़ुशामद करने वालों को सर्वस्व दान कर सकता है,कामुक,ईर्ष्यालु… इत्यादि !
मद्यपान के कुफ़ल
इस दवा के ग़लत प्रयोग से ज़्यादा नुक़सान भी हो सकते हैं !
औरतों के मोनोपोज के समय जब प्रवाह बंद हो जाता है,तो अक्सर,वे ईर्ष्यालु हो जाती हैं,सास-बहु के झगड़ों में यह एक प्रधान कारण है !
#######
ख़त्म नहीं हो रहा है,तात्पर्य यह है कि उपरोक्त सारे गुण-अवगुण ( लक्षण) कवियों में रहते हैं,लेकिन वह मनुष्य है,जिसमें ज़हर भी है,जो,उसे कवि बनाता है,और कवि से पतित भी करता है ॥



Pramod Beria