सिखों द्वारा संचालित लंगर बस रिश्ता सिर्फ भूख का अन्न से है. रिश्ता मानवता का है

लो भाई आ गए भगवान बनकर मुंबई से मध्यप्रदेश, बिहार,यूपी राजस्थान और अन्य राज्य लौट रहे हज़ारों भूखे मजदूरों को खाना खिलाने सिख भाई और मुस्लिम भाई लोग. कसारा से नासिक के बीच सिखों ने दो लंगर चलाना शुरू किया है. एक लंगर नासिक से 25 किमी दूर राजूर फाटा पर सिखों द्वारा निर्मला आश्रम तपस्थान लंगर चलाया जा रहा है. एक लंगर नासिक से करीब 65 किमी दूर मंगरूल में सिखों द्वारा चलाया जा रहा है.  यहां करीब 10 हज़ार भूखे पेट मजदूरों को भरपेट खाना खिलाया जा रहा है. छाछ और लस्सी भी दे रहे हैं सिख भाई. कसारा के पास ही 25 मुस्लिम रोज़ेदार युवकों ने भी लंगर शुरू किया है. यह लंगर एक महीने से चल रहा है. ये लोग मुसाफिरों को फल बिरयानी, खिचड़ी और पानी दे रहे हैं.  यहां 4 से 5 हज़ार मजदूर रोज़ खाना खाते हैं. जो मजदूर सफर पर निकले हैं, उनके पास खाने-पीने की खुद की व्यवस्था नहीं है. वे नदी पर नहा रहे हैं. लंगर में खा रहे हैं और चलते जा रहे हैं. न खाने वालों को पता है कि हमें कौन खिला रहा है और न ही खिलाने वालों को पता है कि हम किसको खिला रहे हैं. बस रिश्ता सिर्फ भूख का अन्न से है. रिश्ता मानवता का है


. Vikram Singh Chauhan