मई दिवस (दुनिया के मज़दूरों का दिन) का सलाम !
हम मेहनतकश जग वालों से जब अपना हिस्सा मांगेंगे,
इक खेत नहीं, इक देश नहीं, हम सारी दुनिया मांगेंगे
यां पर्वत-पर्वत हीरे हैं, यां सागर-सागर मोती हैं
ये सारा माल हमारा है, हम सारा खजाना मांगेंगे
वो सेठ व्यापारी रजवाड़े, दस लाख तो हम हैं दस करोड़
ये कब तक अमरीका से, जीने का सहारा मांगेंगे
जो खून बहे जो बाग उजड़े जो गीत दिलों में कत्ल हुए,
हर कतरे का हर गुंचे का, हर गीत का बदला मांगेंगे
जब सब सीधा हो जाएगा, जब सब झगडे़ मिट जाएंगे,
हम मेहनत से उपजाएंगे, बस बांट बराबर खाएंगे
हम मेहनतकश जग वालों से जब अपना हिस्सा मांगेंगे,
इक खेत नहीं, इक देश नहीं, हम सारी दुनिया मांगेंगे !
- फ़ैज अहमद फ़ैज़