लॉक डाउन में इंडोवर्थ (ई) लिमिटेड कंपनी अनिश्चितकाल के लिए बंद ,600 कर्मचारी और उनके परिवार को कंपनी ने भूखे मरने के लिए छोड़ा

देश मे कोरोना वायरस की वजह से लॉक डाउन किया गया है अभी तक ये लॉक डाउन कुल 3 बार हुआ है और अब 17 मई तक इस लॉक डाउन को बढ़ाया गया है , देश के प्रधानमंत्री ने इस दौरान साफ निर्देश दिया है कि कोई भी कंपनी या संस्था अपने कर्मचारियों को ना निकाले , उनका वेतन ना काटे ,जैसे भी हो अपने कर्मचारियों को वेतन दे इस बीच नागपुर के बुटिबोरी स्थित इंडोवर्थ इंडिया लिमिटेड ने प्रधानमंत्री केे निर्देश को ठेंगा दिखाते हुए ,महाराष्ट्र सरकार के नियम को ताक में रखते हुए कंपनी को बंद कर दिया और 2 मई को कंपनी के मुख्य द्वार पर नोटिस चिपका दिया और साफ किया है कि अगले आदेश तक कंपनी बंद रहेंगी इतना ही नही कंपनी ने इस नोटिस में में ये भी लिखा है कि जो कंपनी छोड़ना चाहता है वो भी अपना फुल और फाइनल हिसाब कर सकता है ।


इंडोवर्थ इंडिया लिमिटेड ये कंपनी नागपुर के बुटिबोरी स्थित है इस कंपनी में धागा बनता है जो भारतीय बाजार के साथ - साथ विदेश भी निर्यात किया जाता है ,लॉक डाउन से पहले इस कंपनी में 24 घंटे प्रोडक्शन होता था और इन कंपनी में तकरीबन 600 कर्मचारी काम करते है जिसमे 280 स्थायी कामगार है 150 कंपनी कर्मचारी है जबकि 260 अस्थायी कामगार है जो मौजूदा समय में कार्यरित है ।


इंडोवर्थ इंडिया लिमिटेड द्वारा इस विपरीत परिस्थिति में इस तरह से नो वर्क - नो पेमेंट का नोटिस चिपकाना  कामगार के लिए मुसीबत भरा सबब है कंपनी ने मार्च महीने का 80 फीसदी वेतन कर्मचारियों को दिया है जब कि अप्रैल महीने का कोई वेतन नही दिया गया है अब ऐसे में इन 600 परिवारों के सामने भूखमरी की नौबत आ गयी है खास बात ये भी है कि इन कामगारों में अधिकांश कामगार दूसरे राज्यो के है जो कंपनी में अलग अलग काम किया करते थे लेकिन अब 2 महीने से वेतन नही मिलने और भविष्य में अनिश्चितकालीन समय के लिए कंपनी बंद होने की वजह से इनका जीना मुश्किल हो गया है ।


कंपनी के इस रवैये को देखते हुए कंपनी के चुने हुए प्रतिनिधि ने इसकी शिकायत नागपुर जिलाधिकारी ,लेबर कमिश्नर , बुटिबोरी MIDC पुलिस थाना  में की है इनके साथ हिंगना के विधायक समीर मेघे ने भी जिलाधिकारी रविन्द्र ठाकरे के पास शिकायत की है बावजूद इसके कोई उचित कदम नही उठाया जा रहा इस बीच कंपनी के इन 600 कर्मचारियों के परिवारों के सामने भूखे मरने की नौबत आ गयी है ।



नितीश कुलकर्णी