एक झटके में पूरी तरह बंधुआ हुए मध्यप्रदेश के मजदूर

 🔴 शिवराज सिंह कोरोना को थामने, जांच बढ़ाने,  लॉकडाउन में भूख से बिलबिलाते नागरिकों को राशन पहुंचाने के मामले में भले कुछ न कर पा रहे हों - जिनकी दी काली कमाई से तख्तापलट कर सरकार में आये हैअपने उन आकाओं  की सेवा में जी-जान से जुटे हैं। कुछ दिन पहले मण्डी एक्ट बदल कर किसानो की लूट पक्की कर दी थी - कल श्रम क़ानून बदलकर मजदूरों को बंधुआ बना दिया।  


🔴 कल नोटफिकेशन के जरिये किये बदलावों पर नजर डालें ज़रा ; 


#एक कारखाना अधिनियम 1948 के अंतर्गत कारखाना अधिनियम 1958 की धारा 6,7,8 धारा 21 से 41 (एच), 59,67,68,79,88 एवं धारा 112 को छोड़कर सभी धाराओं से नए उद्योगों को छूट रहेगी। इससे अब उद्योगों को विभागीय निरीक्षणों से मुक्ति मिलेगी। उद्योग अपनी मर्जी से थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन करा सकेंगे। रजिस्टर के संधारण में छूट मिलेगी। फेक्ट्री इंस्पेक्टर द्वारा जाँच एवं निरीक्षण से मुक्ति मिलेगी। उद्योग अपनी सुविधा में शिफ्टों में परिवर्तन कर सकेंगे।
#दो मध्यप्रदेश औद्योगिक संबंध अधिनियम 1960 में संशोधन के साथ इस अधिनियम के प्रावधान उद्योगों पर लागू नहीं होंगे। औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 में संशोधन के बाद नवीन स्थापनाओं को एक हजार दिवस तक औद्योगिक विवाद अधिनियम में अनेक प्रावधानों से छूट मिल जाएगी। संस्थान अपनी सुविधानुसार श्रमिकों को सेवा में रख सकेगा। उद्योगों द्वारा की गई कार्यवाही के संबंध में श्रम विभाग एवं श्रम न्यायालय का हस्तक्षेप बंद हो जाएगा।
#तीन मध्यप्रदेश औद्योगिक नियोजन (स्थायी आदेश) अधिनियम 1961 में संशोधन के बाद 100 श्रमिक तक नियोजित करने वाले कारखानों को अधिनियम के प्रावधानों से छूट मिल जाएगी। 
#चार मध्यप्रदेश श्रम कल्याण निधि अधिनियम 1982 के अंतर्गत जारी किये जाने वाले अध्यादेश के बाद सभी नवीन स्थापित कारखानों को आगामी एक हजार दिवस के लिए मध्यप्रदेश श्रम कल्याण मंडल को प्रतिवर्ष प्रति श्रमिक 80 रुपए के अभिदाय के प्रदाय से छूट मिल जाएगी। इसके साथ ही वार्षिक रिटर्न से भी छूट मिलेगी।
#पांच दुकान एवं स्थापना अधिनियम 1958 में संशोधन के बाद कोई भी दुकान एवं स्थापना सुबह 6 से रात 12 बजे तक खुली रह सकेगी। इससे दुकान में काम करने वाले मजदूरों के काम के घंटे 18 हो जाएंगे। । 
#छह पचास से कम श्रमिकों को नियोजित करने वाले स्थापनाओं में श्रम आयुक्त की अनुमति के बाद ही निरीक्षण किया जा सकेगा। 
#सात ठेका श्रमिक अधिनियम 1970 में संशोधन के बाद ठेकेदारों को 20 के स्थान पर 50 श्रमिक नियोजित करने पर ही पंजीयन की बाध्यता होगी। 50 से कम श्रमिक नियोजित करने वाले ठेकेदार बिना पंजीयन के कार्य कर सकेंगे। ।
#आठ कारखाना अधिनियम के अंतर्गत कारखाने की परिभाषा में विद्युत शक्ति के साथ 10 के स्थान पर 20 श्रमिक और बगैर विद्युत के 20 के स्थान पर 40 श्रमिक किया गया है।  इससे छोटे उद्योगों को कारखाना अधिनियम के पंजीयन से मुक्ति तथा मजदूरों को गुलामी मिलेगी । 
#नौ इसके पूर्व 13 केन्द्रीय एवं 4 राज्य कानूनों में आवश्यक श्रम संशोधन किए जा चुके हैं।
🔴 कार्पोरेटी हिन्दुत्व इसी का नाम है।  यह महामारियों में भी सिर्फ अपने आकाओं का मुनाफ़ा देखता है ताकि उनसे पैसा लेकर 35 -35 करोड़ में एक एक विधायक खरीद सके।  
#लानत_छोटा_शब्द_है