सुनील के विचार क्रम से आज के हालात को देखना और उन विचारों के आलोक मे राजनैतिक संघर्ष और धारा को मजबूत करना सबसे बड़ी चुनौती है l

साथी सुनील की याद
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समाजवादी जनपरिषद के राष्ट्रीय महामंत्री दिवंगत साथी सुनील की सक्रियता का केसला के बाद पिपरिया प्रमुख केंद्र था l यहाँ अनेकों आंदोलन और कार्यक्रमों मे भाग लेकर जन मानस पर गहरी छाप छोड़ी l नरसिंहराव के प्रधानमंत्रित्व काल मे वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने 1991 मे नई आर्थिक नीति की घोषणा की और विश्व व्यापार संगठन के सदस्य बनने के लिए डंकल प्रस्ताव पर हस्ताक्षर के लिए कदम बढ़ाया तो समाजवादी जन परिषद और देश के अन्य जनसंगठनो ने सख्त विरोध दर्ज़ कराया था l इस पृष्ठभूमि मे पिपरिया मे 1993 मे स्टूडेंट आर्गेनाइजेशन द्वारा आयोजित लोकप्रिय कार्यक्रम “नागरिक वाद-विवाद” मे सुनील भाई प्रमुख वक्ता के रूप मे पिपरिया आए थे l सुनील ने सैकड़ो नागरिकों के समक्ष अपने प्रभावी और ओजस्वी वक्तव्य मे लोगो का ध्यान आकर्षित किया था l आर्थिक सुधारो के नाम पर शुरू की गई नीतियो के प्रति लोगो मे ज़बरदस्त आकर्षण था l उस दौर मे सुनील ने तार्किक आलोचना करते हुए नीतियो का विश्लेषण प्रस्तुत किया था और नीतियो के कारण किसानो ,मजदूरो ,कारीगरों ,उद्योग ,व्यवसाय पर पढ़ने वाले दुषप्रभाव का विस्तृत विवेचन प्रस्तुत किया था l उस समय ही सुनील ने पिपरिया के पास स्थित खापरखेड़ा ग्राम मे किसानो की एक बड़ी मीटिंग मे नई आर्थिक नीतियो के कारण किसानो को होने वाली मुश्किलो से किसानो को अवगत कराया था l सुनील भाई अपनी दूरदृष्टि से इन नीतियो की तार्किक परिणीति किसानो की बरबादी के रूप मे देख रहे थे l बाद मे पूरे देश मे लाखो किसानो द्वारा आत्महत्या की प्रवत्ति से उनकी आशंका सच साबित हुई l सुनील ने पिपरिया = खापरखेड़ा मे जिन खतरो से आगाह किया था अफसोस है की वो सब सच साबित हो रहे है l सुनील भाई द्वारा समय समय पर लिखी गई पुस्तिकाओ मे व्यक्त की गई आशंकाओ और विश्लेषण को हम आज भी पढ़ सकते है ,समझ सकते है l सुनील के विचार क्रम से आज के हालात को देखना और उन विचारों के आलोक मे राजनैतिक संघर्ष और धारा को मजबूत करना सबसे बड़ी चुनौती है l दुख यह है कि इस चुनौती को स्वीकार करने के पहिले ही सुनील के बहुत से साथियो ने उनके जीवन काल मे ही उनका साथ छोड़ दिया l अपने समय और उसके आगे देखने वाले संग्रामी साथी ,विलक्षण विचारक सुनील के सपनों को मंज़िल तक पहुचाने के लिए सबको मिलकर सोचना होगा l


( दिवंगत साथी सुनील के साथ मेरी यह फ़ोटो 20 साल पुरानी है जब मेरे सिर पर थोड़े बहुत बाल थे और वे काले भी थे - गोपाल राठी , पिपरिया )