राष्ट्रीय जनसंवादः प्रस्तावित बिजली (संशोधन) कानून 2020 - 29 अप्रैल 2020 को

दुनिया भर के देश लॉकडाउन में हैं और भारत में लोग अपने आप को विनाशकारी कोरोना वायरस से बचाने के लिए भोजन, स्वास्थ्य सेवा तक पहुचने हेतु विचलित हैं। इसका लोगो के जीवन और उनकी आजीविका पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है। कई समुदायों शहरों में बिना फोन कनेक्टिविटी और परिवहन के विभिन्न आश्रयों में फंसे है या भोजन मिलने उम्मीद में लंबी कतारों में खड़े है। कई जीवन अस्पतालों में जीवन के लिए जूझ रहे है। लेकिन भारत सरकार कानूनों में संशोधन करने में व्यस्त है,जिसका उसके लोगों पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। भारत सरकार इस सकंट के समय में माहामारी के नाम पर ऊर्जा और पर्यावरण से संबंधित कानूनों में विभिन्न प्रकार के जनविरोधी संशोधनों कर रही है।
बिजली मंत्रालय ने 17 अप्रैल को बिजली (संशोधन) बिल 2020 का प्रस्ताव रखा और ड्राफ्ट बिल पर टिप्पणी प्रस्तुत करने के लिए 21 दिनों का समय दिया। ऐसे दौर में जब लोगों को घरों में रह कर घर से काम करने के लिये मजबूर रहे है जिससे इंटरनेट नेटवर्क पहले से ही अतिभारित है। सीमित संचार के साथ शारीरिक दूरी भी बनाए रखना है। और कई अन्य जिनके पास कोई नेटवर्क ही नहीं है। केंद्र सरकार उस दौर में देशवासियो से टिप्पणी देने की उम्मीद करती है। 
यह महत्वपूर्ण कानून जो अपने घरों को रोशन करता है, अपने खेतों के लिए पानी को पंप करता है, अपने छोटे और मध्यम व्यवसायों को चलाता है। वैसे ही अभी हम एक गंभीर संकट गंुजर रहे हैैं। ऐसे समय मे सरकार का ध्यान लोगो की भूख और स्वास्थ्य देखभाल ओर होना चाहिए। लेकिन यह निजी कम्पनियों को फायदा बढाने की ओर सोच रही है। यह पहली बार नहीं है जब वर्तमान सरकार बिजली बिल 2003 में इन बदलावों को लाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने 2014 और 2018 में इसी तरह के बदलाव लाने की कोशिश की थी, लेकिन विपक्ष  राज्य सरकारों और बिजली इंजीनियरों कर्मचारी संघ के कड़े विरोध के कारण उन्हें संसद में पेश नहीं किया जा सका।  
देश के 24 करोडे लोग आज भी अधेरे मे रहने को मजबूर है। बावजूद उसके यह विधेयक देश के बडे निजी बिजली कम्पनियों को फायदा कैसे हो, को  केद्रं मे रख कर लाया गया ना की जनता को। यह एक तरफ एक अनिवार्य भुगतान सुरक्षा तंत्र बनाया जा रहा है जो निजी बिजली उत्पादक कम्पनियों की राशि वसूलने मे उपयोग किया जायेगा। सरकार ने सालों से वित्तीय संकट झेल रही डिस्कॉम कम्पनियों की वित्तीय सेहत सुधारने के लिए पर्याप्त कदम नही उठाये। यह विधेयक सभी प्रकार की बिजली बिल पर छुट या सब्सिडी को समाप्त करेगा। यह पूर्ण रूप से किसान, पिछडे समुदायांे को प्रभावित करेगा। यह बदलाव देश की एक बड़ी आबादी को बिजली पहुंच से बाहर कर देगे। जो लोग बिजली के लिए भुगतान कर सकते हैं वही उसका उपभोग कर पायेगे। यह लोगों को बिजली उपभोग के लिए कॉर्पोरेट की दया पर निर्भर होने के लिए मजबूर करेगा। 
उपरोक्त विधेयक से उपभोक्ताओ और राज्य पर क्या वित्तीय प्रभाव हो सकते उनको ओर बारीकी से जानने और समझने हेतु एक राष्ट्रीय जनसंवाद का आयोजन 29 आप्रैल 2020 बुधवार को विडीयो के माध्यम से किया जा रहा है। सभी से अनुरोध किया गया है कि इस जनंसवाद मे भाग ले और आपनी टिप्पणी भी दे। सरकार को ये बताये की हम इस बंदी मे भी अपना विरोध दर्ज कर सकते हेै।
नोट-
बुधबार, समय सुबह 10 से दोपहर 12ः30 तक
विडीयों से जुडने हेतु आपको लिकं भेजा जायेगा।



मुख्य वक्ताः
श्रीमती तेजल कानीटकर जी, नेशनल इन्स्टीटूट आॅफ एडंवांस स्टॅडीज बैंगलौर
श्री शैलेद्र दुबे जी, अध्यक्ष, अखिल भारतीय पावर इन्जिनीर्यस फेडेरेशन 
श्री के आशोक राव पेट्रोन भारतीय पावर इन्जिनीर्यस फेडेरेशन 
श्री सौम्या दत्ता जी वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता, मौसम
श्री लियो सलदान्हा एनवायरनमेंट सपोर्ट ग्रुप
विष्णु राव, सिटिजन कंज्यूमर एंड सिविक एक्शन ग्रुप


आयोजक 
जनआंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय 
सेन्टर फार फिनान्शियल आकाउन्टेब्लिटी नई दिल्ली
मौसम नई दिल्ली
एनवायरनमेंट सपोर्ट ग्रुप बैंगलौर 
सिटिजन कंज्यूमर एंड सिविक एक्शन ग्रुप चेन्नाई
मंहेगी बिजली अभियान मध्यप्रेदश


संर्पकः 8130030411/9650164543 कृपया यहाॅ रजिस्टर करे। -https://forms.gle/zwRs7YE7wHDnwrwy5