रामधारी सिंह दिनकर

स्मृतिशेष...


समर शेष है, अभी मनुज भक्षी हुंकार रहे हैं,
गांधी का पी रुधिर जवाहर पर फुंकार रहे हैं, 
समर शेष है, अहंकार इनका हरना बाकी है, 
वृक को दंतहीन, अहि को निर्विष करना बाकी है।


@ राष्ट्रकवि स्व. रामधारी सिंह दिनकर