पैड वुमन की टीम जी जान से जुट गयी मजदूरों की मदद के लिए

पैडवुमन  माया विश्वकर्मा और उनके सुकर्मा फाउंडेशन की टीम मजदूरों की मदद के लिए जी जान से जुटी है एक ऐसे दौर में जब प्रशासन ने मदद की घोषणा के बाद फौरी तौर पर मजदूरों को राहत देने के नाम पर शायद ही कोई काम किया हो ऐसे वक्त में पूरे देश में समाजसेवी अपने अपने स्तर पर इन बेसहारा और गरीब लोगों की मदद के लिए आगे आए हैं नरसिंहपुर जिले मैं माया विश्वकर्मा और उनकी पूरी टीम सुकर्मा फाउंडेशन के माध्यम से इन मेहनतकश मज़दूरों को  हर संभव सहायता कर रही है इसी श्रंखला में माया विश्वकर्मा द्वारा भेजी गई जानकारी का अपडेट.....


कल रात को जो 45 (27+18 today) मजदूर मिले उनकी व्यवस्था Sukarma Foundation - सुकर्मा फाउंडेशन कार्यकर्ता अर्पित भाई (Arpit Katare) और निशांत राजपूत (पिपरिया) ने की गाँव के बाहर मंगल भवन उसमें रुकने का इंतज़ाम किया। रात को ही थोड़ा प्लानिंग कि इनकी व्यवस्था कुछ दिन के लिए करते है लोकेश भाई (Lokesh Agrawal) को नास्ते के लिए बोल दिया आज सुबह हिमांशु (Himanshu Dixit) भाई के साथ नाश्ता और राशन लेकर पिपरिया निकले। रम्पुरा से कुछ दूर झिरिया माता के पहले एक और मजदूरों का झुण्ड दिखाई दिया हमको देख कर कुछ भयभीत हुए दांयें बाएं होने लगे हमने बताया भाई लोग डरने की बात नहीं है हम कुछ देर रुके, उनको बताया कि अब उनका इंतज़ाम प्रशासन की तरफ से किया जायेगा इसलिए आप जहाँ तक पहुंचे है वही नजदीक गाँव में रुकें . खाने पीने की भी व्यवस्था होगी।  ऐसा कहकर हमारे पास कुछ एक्स्ट्रा राशन के पैकेट थे कुछ  नाश्ते के देकर आगे वाले गाँव में मिलने का बोला। एक ग्रामीण ने उनको आगे वाले गाँव तक पहुंचाने में मदद की। मजदूर के समूह में एक भाई था जिसका पैर में चोट लगी और पस बहने लगा उसने अपने मुँह के मास्क को मक्खी से बचने के लिए बाँधा हुआ था। मुश्किल से चल पा रहा था।  कुछ घंटों में हम पिपरिया के ग्रुप को राशन देने पहुंचे सब लोग सुबह नहा धोकर तैयार हो रहे थे कोई खाना बनाने की तैयारी कर रहा था कोई अपनी कंघी कर रहा और कोई बस यू ही गप्प मार रहा था उतने में एक सब्जी वाले भैया वहां से गुजर रहे थे हमको देखकर रुक गए। थोड़ी देर बात किये और कहा आज कि जितनी सब्जी बची है वो में यही दान करता हूँ आप लोग इतना कुछ कर रहे है मुझे भी मौका दीजियेगा ऐसा कहकर उसने अपने टमाटर और ककड़ी वही उड़ेल दी सारे मजदूर भाई खुश हुए। हमको अर्पित भाई मिल चुके थे पहले ग्रुप वाले मजदूरों का किस्सा बताया वो भी साथ चल दिए तब तक ग्रामीण भाई ने इस ग्रुप को स्कूल के पास पेड़ की छाया में रुकने की व्यवस्था की और जो भी इनके पास सामान था बर्तन निकाले और कुछ लकड़ी जुटाई और खाना पकने लगा। हमने कुछ और नाश्ते के पैकेट दिए और जो छोटे छोटे बच्चे थे ख़ुशी से नाचने लगे। जिस भाई को चोट लगी थी उसके लिए लोकल मरहम पट्टी का इंतज़ाम किया और साईंखेड़ा से विकास (Vikas Kathal) भाई को बताया हिमांशु भाई शाम को फिर दवाई लेकर पहुंचे।  आज का कुछ इस तरह गुजरा पता ही नहीं चला। बड़ा सकून था उन बच्चो को देख कर आस पास खेल रहे थे इस लॉकडाउन से बेफिकर। आपके जज्बे को सलाम माया विश्वकर्मा.......


~ Maya Vishwakarma - माया विश्वकर्मा