पालघर की दुखद घटना

मुंबई से 125 किमी दूर पालघर में एक भयानक घटना हुई है। गढ़चिंचले गांव के पास हत्यारी भीड़ ने दो साधुओं और एक कार चालक को कार से खींच कर मार डाला। इनमें से एक 70 वर्षीय महाराज कल्पवृक्षगिरी थे। उनके साथी सुशील गिरी महाराज और कार चालक निलेश तेलग्ने भी भीड़ की चपेट में आ गए। तीनों अपने परिचित के अंतिम संस्कार में सूरत जा रहे थे। 


मौके पर पुलिस पहुंच गई थी भीड़ को समझाने का बहुत प्रयास किया लेकिन भीड़ ने उल्टा पुलिस पर ही हमला कर दिया। पुलिस पीड़ितों को अस्पताल ले जाना चाहती थी तो भीड़ औऱ उग्र हो गई। पुलिस की गाड़ी तोड़ दी। पुलिसकर्मी भी घायल हो गए। किसी तरह अस्पताल लाया गया जहां उन्हें मृत घोषित किया गया। 


महाराष्ट्र पुलिस ने हत्या के आरोप में 110 लोगों को गिरफ्तार किया है। अभी कुछ और लोगों के भाग कर पास के जंगल में छुपने की ख़बर है जिनकी तलाश हो रही है। पुलिस को पता चला है कि व्हाट्सस एप के ज़रिए अफवाह फैली थी कि बच्चा चोरों का गिरोह सक्रिय है। जो मानव अंगों की तस्करी करता है। पुलिस पता कर रही है कि अफवाह कैसे फैली और हत्या के दूसरे कारण क्या हो सकते हैं। 


जिस समाज में भीड़ ही पुलिस बन जाए और भीड़ ही जज बनकर सजा देने लगे उस समाज में यह सब होना लाजिमी है l अफसोस है कि पिछले कुछ सालों में सत्ता का संरक्षण पाकर यह प्रवृत्ति बहुत फली फूली l
 धर्म के आधार पर उस उन्मादित और हत्यारी भीड़ की करतूत को उचित ठहराया जाएगा तो यह सब होगा ही l 
हत्या हत्या होती है जो हर हाल में अमानवीय और निंदनीय कृत्य है चाहे वह अखलाक की हो या इंस्पेक्टर सुबोधसिंह की हो l
पालघर की घटना दुखद और निंदनीय है l हत्यारों की पहचान हो उन्हें उचित दंड मिले यह ज़रूरी है लेकिन ज़रूरत उस हत्यारी प्रवृत्ति को हतोत्साहित करने की है जो भीड़ बनकर पुलिस भी बन जाती है और जज भी l जो धर्म का बेनिफिट लेकर सत्ता का संरक्षण पाती है l