मतलब प्रधानमंत्री के भाषण में totally disappointment के कुछ नहीं है।

किसी का ध्यान गया? 


पीएम केयर फंड में पैसे इकट्ठे किए गए वह भी एनजीओ बनाकर लेकिन प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में एक बार भी PM केयर फंड के पैसों का जिक्र नहीं किया। 


एकबार आप प्रधानमंत्री के भाषण के अंश देखिए--
1. स्वास्थ्यकर्मियों का सम्मान करिए
2.इम्युनिटी बढाने के लिए काढ़ा पिएं
3.लक्ष्मण रेखा पार न करें
4.एप डाऊनलोड करें
5.गरीबों की सहायता करें
6.बुजुर्गों का सम्मान करें
7.अपने यहां काम करने वालों के साथ संवेदना रखें


मतलब प्रधानमंत्री के भाषण में totally disappointment के कुछ नहीं है।


अब आप प्रधानमंत्री के भाषण से गायब चीजों पर ध्यान दीजिए जो एक प्रधानमंत्री से अपेक्षित की जाती हैं-
1.राज्यों को दिया जाने वाला फंड
2.जीएसटी में राज्यों का शेयर
3. देश के लिए इकोनॉमिक रेस्क्यू पैकेज
4. रिलीफ एंड रिहैबिलिटेशन प्लान 
5. घरों पर बैठे मजदूरों के लिए आर्थिक प्लान
6. स्वास्थ्यकर्मियों और पुलिसकर्मियों की सुरक्षा के लिए प्लान
7.पीपीई, मास्क्स, वेन्टीलेटर्स की उपलब्धता के लिए सरकार का प्लान
8. आने वाले कृषि संकट के लिए कोई प्लान


आज हालत ये है कि मुम्बई, दिल्ली, पुणे जैसे बड़े शहर इटली, न्यूयॉर्क की तरह कोरोना की चपेट में तेजी से आ रहे हैं। आज भारत में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 10 हजार को भी पार कर चुका है। राज्य पिछले एक हफ्ते से लगातार फंड की मांग कर रहे हैं। चूंकि राज्यों से प्राप्त करों का एक बड़ा हिस्सा केंद्र के कोष में जाता है इसलिए मुसीबत के समय केंद्र ही उनकी मदद का एकमात्र सोर्स है। लेकिन प्रधानमंत्री अपने भाषणों में क्या अलाप रहे हैं? "इसका सम्मान करना चाहिए, उसका सम्मान करना चाहिए, उसको मदद करनी चाहिए, इससे संवेदना रखनी चाहिए" 


प्रधानमंत्री को समझना चाहिए ऐसी ज्ञानवर्धक बातें दादी, नानी से देशवासियों को पर्याप्त मात्रा में मिल रही हैं। आप अपना बताइए आपकी सरकार क्या कर रही है! 
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यूं माइक पर आकर भागवताचार्य जैसी बातें बनाने से बाज आइए और कोई ढंग की बातें करिए जो एक जिम्मेदार प्रधानमंत्री से अपेक्षित होती हैं। ये समय आपके ज्ञान को सुनने का नहीं बल्कि एक्शन करने का है। देश में कोरोना के 10 हजार मामले क्रॉस हो चुके हैं। और आप अब भी बातों की जलेबी बनाने में लगे हुए हैं। आपको शर्म आनी चाहिए...


@ Shyam Meera Singh