*वक्त की पुकार*
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*साथियो लाल जोहार*
आज पूरा विश्व कोरोना वायरस महामारी के चपेट में है, इटली, अमेरिका, फ़्रांस, चीन, जैसे देशों में इसके व्यापक असर देखने मिल को रहा है. इस वायरस से मौत का आंकड़ा भयावह है भारत देश में भी इसका कहर जारी है जिसके चलते जनजीवन पूरी तरह से प्रभावित है . 23 मार्च को अचानक लॉकडाउन होने से करोड़ों मजदूर काम से वंचित हो गए, किसानो का फसल नष्ट हो गया छोटे - छोटे उद्योगों का हालत ख़राब हो गया मजदूर को अपने कमाया हुआ पैसा भी नहीं मिल पाया है. औद्योगिक क्षेत्रों में अन्य राज्यों के मजदूर फंसे हुए हैं जिनके लिए बड़ी मुसीबत है खाने का व्यवस्था, रहने का व्यवस्था. कई ऐसे मजदूर हैं जो लोग कंपनियों में ही फंसे हैं और उनका खबर लेने वाला ना ठेकेदार है और न ही कंपनी मालिक जबकि राज्य सरकार ने सभी मजदूरों की राशन से लेकर रहने की व्यवस्था की जाएगी ऐसा घोषणा किया है साथ ही यह भी कहा है की लॉक डाउन के दौरान बंद कारखाने के मजदूरों को उतने दिन का वेतन बिना कटौती के दिया जायेगा जितने दिन लॉक डाउन की अवधि होगी. साथ ही लॉक डाउन के बाद किसी भी मजदूर की छटनी नहीं की जाएगी.
निगम, पालिका एवं नगर पंचायतों में काम करने वाले सफाई कर्मियों को ऐसे संकट के दौर में उनके स्वास्थ्य की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए थी, परन्तु सरकार द्वारा इसका अनदेखा किया जा रहा है. *सफाई कर्मी अपनी जान जोखिम में डालकर तमाम गंदगियों को मैला को साफ़ करते हैं* . कोरोना वायरस के काम पर लगे स्वास्थ्य कर्मियों का बीमा कराया गया तो सफाई कर्मियों का क्यों नहीं ?
छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा मजदूर कार्यकर्त्ता समिति द्वारा सर्वे किया गया जिसमे अधिकांश उद्योगों के मजदूरों को बकाया वेतन नहीं दिया गया है, वही प्रबंधक या ठेकेदार संपर्क में नहीं के बराबर है. बहुतायत मजदूरों के पास राशन के लिए पैसा नहीं है साथ साथ सरकारी मदद भी नहीं पहुंच पा रहे है. कई स्थानीय मजदूरों के पास भी राशन कार्ड नहीं है जिसके चलते भूख के शिकार हैं, जिस बात को लेकर श्रम विभाग को लगातार शिकायत की जा रही है, परन्तु मजदूरों का कमाया हुआ पैसा भी श्रम विभाग नहीं दिला पा रही है . वर्तमान में मजदूरों की परिस्थिति बहुत ही चिंताजनक है क्योकि लॉक डाउन जब भी समाप्त होगा मजदूरों की काम में वापसी होगी या नहीं इसमें बेहद संशय की स्थिति है. लॉक डाउन के दौरन ही 12 करोड़ लोग बेरोजगार हुए है, दिहाड़ी मजदूर,सिविल मजदूर, ठेला चलने वाले, दुकानों में काम करने वाले, ये सब बेरोजगार हो गए हैं, इनके परिवार का भरण पोषण का क्या होगा ? सरकारी व्यवस्था निचले सतह तक नहीं पहुँचती. हिंदुस्तान टाइम्स के समाचार अनुसार वर्त्तमान में भारत सरकार फैक्ट्रीज अधिनियम 1948 में बदलाव पर केंद्र की सरकार विचार कर रही है, जिससे मौजूदा 8 घंटे के कार्य दिवस को 12 घंटे में बदल दिया जायेगा, इसका मतलब है की सामान्य कार्य दिवस 48 घंटे प्रति सप्ताह से बढ़कर 72 घंटे हो जायेगा. छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा मजदूर कार्यकर्त्ता समिति 8 घंटे कार्य अवधि के जगह 12 घंटे कार्य अवधी का पुरजोर विरोध करता है . आने वाले दिनों में उद्योग मालिक मजदूरों की छटनी यह कह के करेंगे की उद्योग घाटे में चल रहा है, सरकार हमे पैकेज नहीं दे रही है आदि . वही पर कम मजदूरों को काम में रख कर उनका बलपूर्वक शोषण करेंगे. जिससे बेरोजगारी में अचानक हुई तीव्र वृद्धि के कारण मजदूर के श्रम की कीमत और भी गिरकर रह जाएगी जिसका भी अंतिम फायदा पूंजीपतियों को ही होगा .
कोरोना वायरस के दौरान सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए आने वाले लोग लॉक डाउन के कारण अस्पतालों तक नहीं पहुंच पा रहे है, जिसकी जनसँख्या लाखों में है. *भारत में हर वर्ष टीबी कैंसर आदि से मरने वालों की संख्या भयावह है, यहाँ तक की प्रसव के लिए भी अस्पताल तक पहुंचना मुश्किल हो गया है*. इलाज के आभाव में मरने वालों की मृत्यु दर वैसे भी कोई कम नहीं है .
आप तमाम मेहनतकश जनता से अनुरोध है की कोरोना के खिलाफ संघर्ष के साथ साथ रोजगार नियमित स्थापित रहे, लोग इलाज के आभाव में न मरे, भूख से न मरे, इसके लिए आने वाले दिनों में आवाज़ बुलंद करना होगा . आगामी दिनों में मजदूरों के सामने आने वाली विकट परिस्थिति में संगठित रहकर संघर्ष करना होगा क्योकि *विज्ञान के मुताबिक थाली, ताली और दिया से न कोरोना भागने वाला है न छटनी रुकने वाला और ना ही भूख मिटने वाला है*.|इस महमारी के संकट का सामना डर और दहशत से नहीं किया जा सकता। और जिम्मेदारी केवल जनता की नहीं है। हमें घर पर लाठी व बंदूक के डर से बिठाकर सरकार अपनी ज़िम्मेदारी हमें सौंप नहीं सकती। विश्वभर में इतने बड़े संख्या में मौत होने का एक बड़ा कारण रहा है लगातार स्वास्थ सेवाओं का निजिकरण व सार्वजनिक स्वास्थ व्यवस्था का तोड। भारत सरकार को सार्वजनिक स्वास्थ सेवाओं को मज़बूत करने केलिए प्रतिबद्ध होना होगा। मौजूदा संकट स्वास्थ संबंधि और आर्थिक दोनों है। केन्द्र सरकार ने कॉरपोरेट घरानों को आर्थिक राहत दिलाने का ऐलान किया है मगर जनता के राहत केलिए अभी तक कुछ ठोस ऐलान नहीं हुआ है। इस महमारी के चलते देश की मेहनतकश जनता सबसे बुरी तरह से प्रभावित होने वाली है।
छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा मजदूर कार्यकर्ता समिति द्वारा *अपील,आव्हान करते है कि*
*1 मई मजदूर दिवस के दिन सब मजदूर अपने परिवारऔर साथियो के साथ मिलकर लाकडाउन को ध्यान में रखकर शारीरिक दूरी बनाए रखते हुए सुबह 10 बजे और शाम 5 बजे अपने अपने घर के सामने खड़ा होकर मुठ्ठी भिजकर नारा लगावे*
*1मई के अमर शहीदों को लाल सलाम
* 12 घन्टा कार्यवधि बंद करो
*कोरोना वायरस को सम्प्रदायिक रंग देना बंद करो
*लाकडाउन में काम से बैठे सभी मजदूरो को काम पर वापस लो
* लघु उद्योगों को राज्य सरकार आर्थिक मदद करो
* श्रम कानून में मजदूर विरोधी बदलाव बंद करो
* मजदूर विरोधी श्रम कानून बनाने वाले केंद्र सरकार मुर्दाबाद
* कोरोना वायरस में डटे स्वास्थ क्रर्मी डाक्टरों,नर्षो ,सफाई कर्मियों को सुरक्षा साधन मुहैया करावें
*स्कूली बच्चों को पोषण आहार देवे
* मितानिनों को कोरोना वायरस से बचने स्वास्थ सुरक्षा संसाधन मुहैया करावे
*किसानों के बोनस पर रोक खारिज करो
* स्वामीनाथन आयोग का रिपोर्ट लागू करो
*मनरेगा के काम को कृषि काम से जोड़ा जाए
*लोकतंत्र और संविधान पर हमला बंद हो
*मजदूरों का छटनी और 12 घन्टा कार्य अवधी नही चलेगा।
*विनीत :-छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा मजदूर कार्यकर्ता समिति,*