लॉकडाउन_में_बाबासाहब_का_महू   और  #भयावह_दारुण_राज 

(इंदौर से कामरेड #अरुण_चौहान का भेजा 5 अप्रैल शाम तक का ब्यौरा)
🔴 लाकडाउन में आम गरीब, मजदूर, किसान, दिहाड़ी मजदूर, खेते मजदूर, घरों में बर्तन आदि सफाई करने वाली महिला मजदूरों के परिवार पर संकट बड़ा है। साग सब्जी से लेकर नाई की दुकान फुटपाथ व लघु व व्यापारी व व उनके यहां काम करने वाले मजदूरों के परिवार परेशानी में आ गए हैं। अपने किसान और आदिवासी आंदोलन के सभी  साथियों से संपर्क बनाए रखा है। उनसे मिली जानकारी अनुसार ; 
🔴 सिमरोल टप्पा क्षेत्र में फसल तक काटने मजदूरों को नहीं जाने दिया गया। बरसात की वजह से भी फसलों का नुकसान हुआ है । 
🔴 सिमरोल तहसील टप्पे पर आसपास के लगभग 30 से 40 ग्रामों में ग्रामीण ज्यादातर आदिवासी ,दलित परिवार अपनी पारिवारिक जरूरतों का घरेलू का घरेलू सामान सिमरोल अथवा चोरल क्षेत्र से साप्ताहिक हाट बाजार से करते हैं।   लाकडाउन की वजह से हाट बाजार में खरीदी बंद हो गई है।  स्थानीय दुकानदारों ने मनमर्जी से भाव कीमतों पर घरेलू जरूरत की वस्तुओं के दाम वसूले हैं जो शक्कर आमतौर पर 35 से 40 रुपए की मिल जाती थी वह 50 रुपए किलो वह भी एक 2 किलो से ज्यादा नहीं दे रहे हैं।  खाने का तेल जो आम दिनों में 80 से 90 रुपए किलो मिल जाता था वह आज 150 रुपए किलो बेचा जा रहा है।  सरकार की ओर से इसमें कोई भी सुविधा नहीं दी गई है।
🔴 शिवराज के सरकार में आने के बाद तो जो खाने के पैकेट आम गरीबों को देना बता जा रहा जा रहा है वह भी मिलना बंद हो गए हैं।  आटा दाल चावल शक्कर तेल चायपत्ती देने के  संबंध में केवल गुमराह किया गया।  होटल ढाबे पूरी तरह से बंद कर दिए जाने से बाहरी मजदूर कर्मचारी पैसा होने के उपरांत भी भोजन नहीं ले पारहा है।  प्रशासन की कोई तैयारी लाकडाउन को लेकर और उसके दौरान आमजन को वैकल्पिक सुविधा दिए जाने हेतु नहीं बनाई गई।  कुछ एक स्थानों पर बाहरी मजदूरों की पुलिस ने मदद की है अन्यथा पुलिस जालिम ही साबित हुई है।  
🔴 मानपुर गुजरी के बाजार में राशन लेने गए 65 साल के डीबू मेडा निवासी ओली माल, गोठानिया की पुलिस ने लाठियों से इतना पीटा कि उसकी मौत हो गई। उसके परिजनों को 20 हजार रुपये  का चैक थमा दिया गया है।  
🔴 महू से 30 किलोमीटर दूर पुराने महेश्वर मार्ग पर ग्राम कदवली आदिवासी बस्ती है जिसमें मुश्किल से 40 घर होंगे।  गाँव में पूनमचंद भील की छोटी सी किराना दुकान है उसे भी बंद करवा दिया गया।  पुलिस के द्वारा दुकानदार के साथ मारपीट की गई।  सच्चाई सामने आई कि मेण मजरा गांव में उच्च वर्गीय लोगों की दुकानें हैं जो अपना सामान महंगे दामों पर बेच रहे थे उनके कहने पर बड़ौदा पुलिस थाने के जवानों ने उक्त स्थान पर मारपीट की थी।  
🔴 सिमरोल,चोरल के बाद बड़ौदा मेण, खुदी , कोदरिया, दतोदा गांवो में गरीबों से जबरदस्त लूट की गई शासन के अधिकारियों द्वारा  कोई कार्यवाही नहीं की गई । 
🔴इसके अतिरिक्त राऊ तहसील के 2 ग्रामों में बजरंगपुरा पंचायत पिगडंबर रंगवासा पंचायत का नयागांव गंगा जी गोया के खेत मजदूर परिवारों को शासन से मदद दिलाई जाने हेतु कार्यवाही की गई एक स्थान  पर 40 परिवार गंगा जी गोया रंगवासा तथा दूसरा स्थान बजरंगपुरा पिपलीया मल्हार पंचायत पिगडबर 20 आदिवासी परिवार जो 22 वषोॅ से उक्त स्थान पर निवासरत हैं जिनके पास स्वयं का आधार कार्ड,परिचय पत्र, राशन कार्ड भी नहीं है।  सरकार की घोषणा के अनुसार यह सरकारी राशन की दुकानों से उन्हें राशन सामग्री नहीं दी गई।  
🔴 केवल गंगा जी गोया रंगवासा पर एक वक्त पांच पूड़ी  का पैकेट प्रतिदिन व्यक्ति एक वक्त का दिया जारहा है ! 
#और_इंदौर_में 
🔴 इसी तरह इंदौर तहसील बिचौली से नायता मुंडला, सनावदिया, पालदा उद्योगपुरी, नेमावर रोड़, मुंडला काकड़, निरजंनपुर नई बस्ती सभी नगर निगम क्षेत्र है।  यहां भी मजदूरों को लगातार पांच दिन के प्रयासों के बाद केवल 1 दिन पुड़िया 2 पेकेट तथा एक स्थान पर सिर्फ चावल का एक पैकेट दोनों को दिया गया जबकि उक्त व्यक्तियों के परिवार की संख्या 8 से लेकर 9 लोगों की है।  
🔴 निगम जोन अधिकारी सब इंजीनियर अन्य विभाग एग्रीकल्चर पंजीयन अधिकारी को नोडल अधिकारी बनाया गया।  राहत उपलब्ध किये जाने हेतु उनसे संपर्क करने पर अन्य स्थान पर डयूटी होना बतलाया गया।  
🔴 कुलमिलाकर बहुत ही गैर जिम्मेदारी से किया गया।  ज्यादातर नगर निगम के अधिकारी कर्मचारीयों की जिम्मेदारी दी गई थी।  परंतु यहा आरएसएस -भाजपा से जुड़े कर्मचारियों ने गरीबों की मदद के बजाये कच्चे सामान की अफरा-तफरी क्र   अपने कार्यकर्ताओं को समान मुहैया करवाया।  भोजन पैकेट भी पीड़ित गरीबों को नहीं दिया गया!                                  
🔴 उक्त सभी स्थानों के साथियों की ग्राम एवं मोहल्ला वार सूची तथा मोबाइल नंबर जिन अधिकारियों से संपर्क किया गया राहत हेतु ग्राम मोहल्ला बस्ती की सूची आपको प्रस्तुत की  गई है।  उनके नाम व गरीबजनों की सूची अरुण चौहान ने भेजी है जिन्हे इस रिपोर्ट के साथ मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री को भेजा है।  
🔴 जिन अधिकारियों के साथ बातचीत व संपर्क किया गया उनकी कॉल रिकॉर्डिंग भी है।


बादल सरोज