कोरोना संक्रमण के दौरान  निजता  के अधिकार का खात्मा  

तैयार हो जाइए ,अब फ़ोन के माध्यम से पता चल जाएगा ,जिस जगह  आप ( यूजर , उपभोक्ता ) खड़ा है ,कितने लोग उसके पास खड़े  हैं। उनके क्या मोबाईल नंबर है। तकनीक के इस्तेमाल से किसी भी भीड़ में कौन कौन संक्रमित हैं ,यह भी पता चल जाएगा।


big brother is watching.


फिलहाल तो यह कोरोना संक्रमण के दौरान शारीरिक दूरी पर निगरानी के लिए किया जा रहा है , कई कंपनियां  इस तकनीक को हासिल कर चुकी है ,अब सरकारों को इस तकनीक को बेच रही हैं। क्योंकि कोरोना का अभी कोई इलाज उपलब्ध नहीं है। सभी को सोशल डिस्टेन सिंग  एक मात्र विकल्प दिखलाई पड़ रहा है। इसीलिए इस तकनीक की जानकारी रखने वाली कंपनियों की मांग बढ़ती जा रही है।
परन्तु कोरोना संक्रमण खत्म होने  के बाद आपके साथ कौन कौन खडा है ,यह कंपनियों को आपके फोन  की लोकेशन से मालूम हो जाएगा। अभी मैंने जो यात्रा की उसमें मैं कहां कहां गया यह मेरे फोन में दर्ज है। इसकी सूचना मुझे गूगल ने भेजी है।
इतना तो सभी जानते ही हैं की जी पी एस के माध्यम से यह होता है।परंतु अब आपके पास किस जगह कौन से लोग किस फ़ोन नंबर वाले मौजूद थे ,यह भी पता चल जाएगा  ।  
एक तरफ निजता के अधिकार को संवैधानिक अधिकार बतलाया जा रहा है ,दूसरी तरफ इस तरह की तकनीक के इस्तेमाल से भविष्य में जो  होने वाला है ,वह अत्यंत चिंता पैदा करने वाला है।
लॉक डाउन के दौरान सोचिए ,इसका कैसे मुकाबला करेंगे। याद रखिये जब समाजवादी चिंतक डॉ लोहिया ने दुनिया मे 7 नाइंसाफ़ीयों के खिलाफ जब सप्तक्रांति का विचार दिया था ,तब निजता के अधिकार को उसमें शामिल किया था। ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त साहित्यकार अनंतमूर्ति ने मुझसे डॉ लोहिया की जनशताब्दी वर्ष के अवसर पर निकाली गई सप्तक्रांति विचार यात्रा के बेंगलुरु में पहुंचने पर कहा था ,कि डॉ लोहिया द्वारा दुनिया को दिया गया यह मौलिक चिंतन था।


वहीं साथी हरी मोहन मिश्र कहते हैं कि मोदी सरकार भी एक ऐप तैयार करा चुकी है, जिसके लिए जल्द ही अभियान शुरू होने वाला है कि सभी स्मार्ट फोन में रजिस्टर किया जाए। कहते हैं लक्ष्य कम से कम ५० करोड़ का रखा गया है।


डॉ सुनीलम