कोरोना में वेंटिलेटर

कोरोना वायरस हमारे श्वसनतंत्र को प्रभावित करता है। जिसके कारण सांस लेने में तकलीफ होती है। इससे हुए गम्भीर बीमारों को वेंटिलेटर की आवश्यकता होती है। उनकी जान बचाई जा सके इसके लिए जरूरी है कि उनको सांस लेने के लिए वेंटिलेटर सपोर्ट मिले।


यह समझ लीजिए कि इस बीमारी के खिलाफ चल रहे युद्ध को वेंटिलेटर नामक टैंक से लड़ा जा सकता है। गम्भीर रूप से बीमार हुए व्यक्तियों को यही बचा सकता है। 


अमेरिका जो दुनिया का सुपर पावर है वो आज वेंटिलेटर की भीख मांग रहा है। चारों तरफ से जैसे भी सम्भव हो इसका जुगाड़ कर रहा है। ट्रम्प ने खुद चीन से वेंटिलेटर भेजने की गुजारिश की है। हालत यह है कि अमेरिका में लोग वेंटिलेटर की कमी के कारण बड़े पैमाने पर मर रहे हैं और सरकार बेबस है।


अपने देश में वेंटिलेटर के मामले में सरकार की तैयारी का पहला उदाहरण इस बात से समझिये कि बिहार सरकार ने मात्र 100 वेंटिलेटर मांगे पर भारत सरकार ने एक भी वेंटिलेटर नहीं भेजा। कारण हमारे यहां 20 मार्च तक वेंटिलेटर बनाने वाली कम्पनियां वेंटिलेटर को महंगे दामों पर विदेश भेजती रहीं। इस मामले में सरकार ने कोई कदम ही नहीं उठाया। 


अब न तो इतने कम समय में वेंटिलेटर मिल सकते हैं और न ही बनाये जा सकते हैं। बीमारी फैलने पर गम्भीर लोगों का इलाज कैसे किया जाएगा यह समझने की जरूरत है।


खैर आज दीया जरूर जलाईयेगा। क्योंकि वेंटिलेटर के बिना जब परिवार के लोग मरेंगे तो कम से कम यह कह पाइयेगा कि हम कोशिश तो पूरा किये पर साला कोरोना का कीड़ा दीया से बच गया।


Ratnesh kumar