दोगले लोग पत्रकारिता के लिए नहीं गोदी पत्रकारों के लिए चिंतित हैं। दलाल और दंगाई के साथ हैं। 

जिनको अर्नब से मुंबई पुलिस के पूछताछ पर बहुत बड़ा पत्रकारिता पर खतरा दिख रहा है वहीं इस कश्मीरी पत्रकार काज़ी शिबली के दर्द को सुनें।


उसे पब्लिक सेफ्टी एक्ट में गिरफ्तार किया गया।  57 दिन एक ही कपड़े में वह जेल में रहा। वहीं धोता था वही पहनता था जब उसे कपड़े मिले तब तक उसकी टी-शर्ट में 119 छेद हो चुके थे।


दक्षिणी कश्मीर के अनंतनाग के निवासी काज़ी को अभी 23 अप्रैल को 9 महीने बाद बरेली की जेल से छोड़ा गया। 


उन्होंने बंगलोर से  पत्रकारिता में स्नातक किया। देश विदेश के कई अख़बरो में लिखते थे और एक वेव पोर्टल चलाते थे।


तब न किसी को दया आई, न पत्रकारिता संकट में दिखी। दोगले लोग पत्रकारिता के लिए नहीं गोदी पत्रकारों के लिए चिंतित हैं। दलाल और दंगाई के साथ हैं। 


Pankaj Chaturvedi