औद्योगिक क्षेत्र बोरगांव- सौसर में मजदूरों को लॉक डाउन अवधि का भुगतान औद्योगिक इकाइयों ने नहीं किया

 सौसर- कहते हैं मजदूर का पसीना सूखने के पहले उसकी मजदूरी का भुगतान हो जाना चाहिए परंतु ऐसा कतई नहीं होता देश में कोरोना संकट के चलते लॉक डाउन अवधि में केंद्र एवं राज्य सरकारों ने यह स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि किसी भी औद्योगिक इकाइयों अथवा अन्य इकाइयों में कार्यरत कामगारों मजदूरों को लॉक डाउन  अवधि में पूर्ण भुगतान किया जाएगा वहीं दूसरी ओर औद्योगिक इकाइयां सरकार के आदेशों को मानने को तैयार नहीं है मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले की सौसर तहसील में स्थित औद्योगिक क्षेत्र बोरगांव में औद्योगिक इकाइयों ने मजदूरों को लॉक डाउन अवधि  का भुगतान नहीं किया है मजदूरों क्योंकि बेबस होता है और वह कंपनी प्रबंधन के खिलाफ इस अवधि में आवाज भी नहीं उठा पा रहा है इसी का फायदा औद्योगिक इकाइयों  ने उठाया है सबसे गंभीर मामला तो इस औद्योगिक क्षेत्र में सेब्रास कंपनी प्राइवेट लिमिटेड का है जिसने कंपनी में कार्यरत मजदूरों का फरवरी एवं मार्च माह का भुगतान नहीं किया था मजदूरों की आर्थिक स्थिति अत्यधिक दयनीय होने के कारण इस प्रकरण को हिंद मजदूर किसान पंचायत ने उठाते हुए कलेक्टर छिंदवाड़ा श्रम पदाधिकारी छिंदवाड़ा मुख्यमंत्री मध्य प्रदेश एवं मुख्य सचिव मध्यप्रदेश सहित श्रम आयुक्त इंदौर को मजदूरों की मजदूरी का शीघ्र भुगतान करने की मांग करते हुए शिकायत की थी जिस पर श्रम पदाधिकारी छिंदवाड़ा में संज्ञान लेते हुए यह निर्देश जारी किए थे जिले में कार्यरत समस्त औद्योगिक इकाइयों में 7 अप्रैल 2020 तक हर हालत में मजदूरों को लंबित भुगतान प्रदाय कर दिया जाना चाहिए संबंधित अवधि में जो भी इकाई भुगतान नहीं करती है तो उसके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी परंतु सेब्रास कंपनी प्राइवेट लिमिटेड ने दिनांक 13 अप्रैल तक भुगतान नहीं किया बाद में कंपनी में वहां पर कार्यरत कॉन्ट्रैक्ट लेबर सप्लाई करने वाले ठेकेदार बीडी टेकाडे के माध्यम से मजदूरों को मजदूरी के भुगतान प्राप्त करने के बनाए गए फॉर्मेट भरकर देने के पश्चात भुगतान प्रदाय किया उसमें भी लॉकडाउन अवधि का भुगतान नहीं किया गया बल्कि ठेकेदार ने एक कदम आगे बढ़कर प्रत्येक मजदूर से लंबित भुगतान प्रदाय करने के एवज में 200 -200 रूपया अवैध वसूली कर ली साथ ही मजदूरों से भरवाए गए फॉर्मेट की अभिस्वीकृति भी नहीं दी मजदूरों का आरोप है कि कंपनी प्रबंधन द्वारा ठेकेदार के माध्यम से कराए गए नगद भुगतान के एवज में उनका शोषण किया गया है वहीं ठेकेदार से इस संबंध में चाही गई जानकारी के अनुसार ठेकेदार ने यह कहा कि कंपनी द्वारा उसके अकाउंट में मजदूरी की राशि ट्रांसफर की गई थी और उसने मजदूरों से फॉर्मेट भरवा कर मजदूरों को नगद भुगतान कर दिया है मध्य प्रदेश के श्रम आयुक्त  ने  भी दिशा निर्देश जारी कर  औद्योगिक इकाइयों के नियोक्ताओं को  यह निर्देश दिए थे कि  लॉक डाउन अवधि में  किसी भी प्रकार की वेतन कटौती  एवं अवैध छटनी नहीं कि जावेगी  लॉक डाउन अवधि में  कामगारों को  पूर्ण भुगतान किया जावेगा  परंतु मध्य प्रदेश श्रम आयुक्त के आदेश की भी धज्जियां  औद्योगिक इकाइयों ने उड़ा कर रख दी है
इनका कहना है ---
मेरे द्वारा किसी भी  मजदूर से 200- 200 रूपया नहीं लिया गया है बल्कि कई मजदूरों पर मेरे 500 एवं हजार रुपया बकाया है
बीडी टेकाडे ठेकेदार
सेब्रास कंपनी प्राइवेट लिमिटेड बोरगांव -सौसर
इनका कहना है ---
यदि औद्योगिक इकाइयों द्वारा लॉक डाउन अवधि में मजदूरों को पूर्ण भुगतान नहीं किया गया है तो प्रकरण की निष्पक्ष जांच कर दोषियों के विरुद्ध निश्चित रूप से कार्रवाई की जाएगी
संदीप मिश्रा जिला श्रम पदाधिकारी छिंदवाड़ा
इस संबंध में हिंद मज़दूर किसान पंचायत ने सेब्रास कंपनी प्राइवेट लिमिटेड में मजदूरों के साथ किए गए शोषण की  निष्पक्ष जांच कर दोषियों के विरुद्ध अपराधिक प्रकरण दर्ज करने की मांग की है