43 करोड़  जरूरतमंदों को सुरक्षित और आसान प्रक्रिया द्वारा ₹5000 महीना उपलब्ध कराने की मांग की

  देश के 43 करोड़ गरीबों - असंगठित क्षेत्र के मजदूरों का सम्मानपूर्वक जीवन जीने का संवेधानिक अधिकार कागजों तक सीमित रह गया है। उनके हक के लिये आज जिन लोगों ने  उपवास किया हैं उन्होंने  प्रधानमंत्री , माननीय मुख्य न्यायाधीश व अपने मुख्यमंत्री को यह चिट्ठी  भेजी है


माननीय प्रधान न्यायाधीश जी
सर्वोच्च न्यायालय 
नई दिल्ली भारत


माननीय प्रधानमंत्री 
भारत सरकार
नई दिल्ली 


माननीय  
भारत गणराज्य के सभी राज्यो के 
मुख्यमंत्री


विषय:  43 करोड़  जरूरतमंदों को सुरक्षित और आसान प्रक्रिया द्वारा ₹5000 महीना उपलब्ध कराए जाने बावत


माननीय महोदय ,


कोविड-19 वैश्विक स्थिति के मद्देनजर  आपने अचानक देशभर में लॉक डाउन  घोषित कर दिया जिसके चलते  लगभग 43 करोड़ भारतीय बेरोजगार हो गए हैं। वे आज न्यूनतम आवश्यकताओं की पूर्ति करने में असमर्थ हैं। गांव मे रोजगार न होने के चलते गांव के छोटे किसान, खेतिहर मजदूर और गरीब शहरों मे जाकर रोजगार कर रहे थे।अचानक लॉक डाउन कर दिए जाने के चलते करोड़ों मजदूरो को पैदल  गांव लौटना पड़ा , लाखों रास्ते में फंस गए। लॉक डाउन के चलते उनकी आय का  साधन समाप्त हो गया है। सरकार ने राशन देने और बैंकों मे सहायता राशि डालने की घोषणा की है। लेकिन जिन लोगों के कार्ड बने नही है या कार्ड शहरों के बने है उन्हें राशन भी नही मिल पा रहा है । राशन लेने जाने, बैंक मे जाने पर पुलिस की पिटाई की तमाम घटनाएं देश भर में हो रही हैं। 


कुल मिलाकर 43 करोड़ गरीबों - असंगठित क्षेत्र के मजदूरों का सम्मानपूर्वक जीवन जीने का संवेधानिक अधिकार कागजों तक सीमित रह गया है।


प्रवासी मजदूरों की इन तमाम समस्याओं को लेकर मैं अपने घर में लॉक डाउन के नियमों का पालन करते हुए आज सुबह 6 बजे से  शाम 6:00 बजे तक उपवास पर हूं।
  देश के अनेक गणमान्य  नागरिक उपवास कर रहे हैं।
जिनमे 102 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी  दुराई स्वामी,बंगलुरू , 97 वर्षीय डॉ जी जी पारिख ,मुम्बई ,प्रख्यात लेखक रामचन्द्र गुहा, कर्नाटक विधान परिषद के पूर्व उप-सभापति बी.आर. पाटिल, . युसूफ मेहर अली सेंटर की महामंत्री विजया चौहान, कर्नाटक के प्रसिद्ध गांधीवादी  प्रसन्ना, राष्ट्र सेवा दल के अध्यक्ष गणेश देवी, जनांदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय और नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर, पूर्व विधायक, कार्यकारी अध्यक्ष किसान संघर्ष समिति के डॉ .सुनीलम् व हिम्मत सेठ सहित हज़ारों सामाजिक एवम जन आंदोलनों के  कार्यकर्ता  शामिल हैं। 


इस कार्य को केंद्र व राज्यों की सरकारों  द्वारा मिलकर  किया जाना चाहिए ।  राज्यों के पास संसाधनों का अभाव है इसलिये  केंद्र सरकार को इसका इंतजाम करना होगा  
हम आपसे उपवास के दौरान मांग करते हैं कि केंद्र सरकार सभी 43 करोड़ जरूरतमंदों को 5000 रुपये प्रतिमाह  की व्यवस्था करें।


राज्य सरकारें ,  केंद्र सरकार के  गृह एवम श्रम मंत्रालय द्वारा जारी  एडवाइजरी का पालन करें , जिसकी मांग देश के मान्यता प्राप्त 10 मजदूर संगठनों द्वारा लगातार  की जा रही है।


यह कार्य कोविड-19 की भयावता को दूर करने के लिए किए जा रहे सरकारी प्रयासों को और बल देगा। इससे देश को बनाने वाली श्रमशक्ति का न केवल सम्मान होगा बल्कि इस श्रम शक्ति को भविष्य के लिए सुरक्षित भी रखने ने मदद मिलेगी ।
 संकट की घड़ी में इस आर्थिक की सर्वाधिक आवश्यकता है ,इससे बड़ी कोई दूसरी मानवीय आवश्यकता इस समय  नही है।
आशा है आप इस सम्बंध में जल्द से जल्द निर्णय लेकर देश को इस संबंध में अपने फैसले से अवगत कराएंगे।


भवदीय


पुनश्च ; देश के मुख्य न्यायधीश को हम इसलिए पत्र लिख रहे हैं,ताकि उंसके भी 43 करोड़ जरूरतमंदों की इस तात्कालिक आवश्यकता की जानकारी हो सके तथा वे स्वयं संज्ञान लेकर केंद्र सरकार को निदेशित कर सकें।


डी के प्रजापति


महासचिव 


हिन्द मज़दूर किसान पंचायत  मध्य प्रदेश


9425146513


Prajapatidk05@gmail.com