भोपाल। जब केंद्र सरकार एक ओर सीएए, एनआरसी और एनपीआर के बहाने देश में साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण कर बुनियादी मुद्दों से ध्यान हटाने की कोशिश कर रही है, वहीं एक के बाद एक घोटाला कर देश की संपत्ति को कारपोरेट घरानों और घोटालेबाजों को सौंप रही है।
माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने उक्त बयान जारी करते हुए कहा है कि पिछले पांच सालों से जब मोदी सरकार स्वंय को हिंदुओं की रहनुमा बताने की कोशिश कर रही है, तब हर घोटाले में हिंदुओं को ही दांव पर लगाया जाता है। पीएमसी घोटाले में भी खाताधारक हिंदुओं का ही पैसा डूबा था और एस बैंक में भी हिंदु खाताधारक ही घोटाले का शिकार हुए हैं। माकपा नेता ने कहा है कि यस बैंक के डूबने से 17000 हिंदू कर्मचारियों की नौकरियां गई हैं। जाहिर है कि यह सरकार धर्म के नाम पर साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण करती है, मगर यह सरकार सिर्फ कारपोरेट घरानों और घोटालेबाजों की सरकार है।
माकपा नेता ने कहा है कि इस बात की जांच की जानी चाहिए कि बैंक के खाता धारकों द्धारा 50 हजर रुपए ही निकालने के आदेश के एक दिन पहले गुजरात की एक कंपनी को कैसे पता लग जाता है कि बैंक डूबने वाला है और वह 265 करोड़ रुपए निकाल लेती है। दूसरी ओर अडानी की कंपनी 26 फरवरी से ही इस बैंक के चैक लेने से इंकार कर देती है। स्पष्ट है कि बैंक के डूबने की जानकारी इन गुजराती कारोबारियों को पहले ही दे दी गई थी।
जसविंदर सिंह ने कहा है कि जब देश को सीएए, एनआरसी और एनपीआर में उलझाया जा रहा है, तब केन्द्र सरकार 28 सार्वजनिक कंपनियों को बेच चुकी है। हाल के बजट में भी केंद्र सरकार ने एक ओर गरीबों को मिलने वाले खाद्यान में 80 हजार करोड़ और मनरेगा में 10 हजार करोड़ की कटौती की है, वहीं दूसरी ओर कारपोरेट घरानो को 1 लाख 45 हजार करोड़ की छूट दी है।
माकपा नेता ने कहा है कि भाजपा सरकार की विभाजनकारी नीतियों के साथ ही उसकी देश बेचने और कारपोरेट घरानो और घोटालेबाजों को संरक्षण देने वाली नीतियों को भी बेनकाब किया जाना चाहिए।
यस बैंक : जनता के साथ मोदी सरकार का और विश्वासघात:माकपा